सुबह मंदिर में खाता भंडारा, शाम को करता पूजा और रात में चोरी, पकड़ा गया तो कर दी पुजारी की हत्या


आगरा।
जिले में नाई की मंडी थाना क्षेत्र स्थित चामुंडा देवी मंदिर के पुजारी की हत्या के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी पुष्पेंद्र शर्मा मंदिर में आता था। सुबह भंडारा खाता था। शाम में दर्शन करता था। इसके बाद रात में मौका देख कर चोरी की वारदात को अंजाम देता था। घटना वाले दिन पुजारी की आंख खुल गई। उन्होंने इसे चोरी करते हुए पकड़ लिया। इस पर इसने सब्बल से वार करके उनकी हत्या कर दी। वह छठवीं बार मंदिर में चोरी करने आया था। इसी दौरान पकड़ा गया।

डीसीपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि नाई की मंडी स्थित मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर पर 14 सितंबर 2022 की रात को हमला हुआ था। वह दूसरे दिन मंदिर में घायल पड़े मिले थे। मंदिर का दानपात्र से पैसा चोरी किया गया था। घटना के बाद लोग आक्रोशित हो गए थे। पुजारी का कुछ दिन इलाज चला। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। लोगों ने जाम लगाकर हंगामा काटा था। घटना के खुलासे के लिए पुलिस टीम लगी हुई थी। सर्विलांस की मदद ली जा रही थी। दो दिन पहले मंदिर में एक युवक चोरी करने घुसा था। उसे पकड़ लिया गया। इसके बाद नाई की मंडी पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की। इसमें सामने आया कि वह मंदिर में छठवीं बार चोरी करने आया है। उसने अपना नाम पुष्पेंद्र बताया। वह धौलपुर का रहने वाला है।

पुलिस की पूछताछ में पता चला कि पुष्पेंद्र ने 12वीं के बाद पॉलिटेक्निक किया था। इसके बाद लैब टेक्नीशियन का कोर्स कर चुका है। तीन साल पहले आगरा की लैब में काम करता था। इसलिए, यहां की जानकारी थी। मथुरा में एक मंदिर में भी साधु के साथ रहता था। नौकरी छूटने के बाद वह नाई की मंडी स्थित मंदिर पर खाना खाने के लिए जाता था। इस दौरान वहां की रेकी करता था। इसके बाद मौका देखकर चोरी कर लेता था। घटना वाले दिन उसने सुबह भंडारा खाया था। शाम को पूजा की थी। इसके बाद चोरी करने लगा था। तभी पुजारी जाग गए। उन्होंने इसे पकड़ लिया। पकड़े जाने पर इसने गुस्से में उन पर सब्बल से वार कर दिया। इससे वह लहूलुहान होकर वहीं गिर गए और उनकी मौत हो गई। इसके बाद यह वहां से भाग गया। 

आरोपी ने यह भी बताया कि उसे यह नहीं पता था कि साधु की मौत हो गई है। इसलिए फिर से चोरी करने आ गया था। मगर, इस बार पकड़ा गया। उसने यह भी बताया कि चोरी के पीछे उसकी जरूरत थी। पिता परचून की दुकान चलाते हैं। उससे खर्च पूरा नहीं हो पाता है। लैब मैं भी उसे एक संस्था की मदद से सात हजार रुपये मिलते थे। इससे गुजारा नहीं चलता था। इसलिए, नौकरी छोड़ दी थी। वह गांव से आने के बाद चोरी कर लेता था, जो रकम मिलती थी। उससे अपने खर्चे पूरे करता था।

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