बीएचयू में शोधः ...तो इस कारण पुरुषों में घट रही प्रजनन क्षमता!


वाराणसी। लापरवाह जीवनशैली (जीवन में तनाव, सही पोषण/आहार न मिलने, कैफीन का सेवन सहित कई तरह की लापरवाही) से पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटती जा रही है। बीएचयू जीव विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ. राघव कुमार के निर्देशन में हुए शोध में यह परिणाम सामने आया। शोध टीम ने चूहों पर अध्ययन किया। इसका प्रकाशन पुरुष प्रजनन शरीर विज्ञान के विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित जर्नल एन्ड्रोलोजीया में हुआ है।

डॉ. राघव कुमार के निर्देशन में अनुपम यादव ने शोध किया है। डॉ. राघव ने बताया कि विभिन्न अनुसंधानों से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में संकट का संकेत शुक्राणु की संख्या में गिरावट और पुरुष प्रजनन प्रणाली की असामान्यताओं में वृद्धि के प्रमाण से मिलता है। इसके अलावा और भी कई कारक हैं।

बताया कि चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया कि सब-क्रोनिक तनाव से ग्रस्त वयस्क चूहों में ऐसे लक्षण विकसित हुए जो प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। चूहों को 30 दिनों की अवधि के लिए हर दिन डेढ़ से तीन घंटे के लिए सब-क्रोनिक तनाव में रखा और शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा को मापा। देखने पर पता चला कि चूहों के दैनिक शुक्राणु उत्पादन में गंभीर गिरावट आई।

इसके साथ ही शुक्राणु में रूपात्मक या संरचनात्मक असामान्यता भी देखने को मिली। विशेष रूप से एपिडीडिमल शुक्राणु (यह शुक्राणु पुरुष प्रजनन सहायक संरचनाओं में से एक में संग्रहित और परिपक्व होता है) तनाव के जोखिम से प्रतिकूल रूप से प्रभावित थे। इसके अलावा शुक्राणु की मूल संरचना में भी असामान्यता देखने को मिली।

अध्ययन में पाया गया कि तनाव ने पुरुष हार्माेन (टेस्टोस्टेरोन) संश्लेषण को भी बाधित किया और वृषण में ऑक्सीडेटिव तनाव (हानिकारक अणुओं और एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइमों के बीच असंतुलन) में भी वृद्धि की। डॉ. राघव कुमार मिश्रा ने कहा कि यह अध्ययन मनोवैज्ञानिक तनाव और प्रजनन कल्याण के संबंध में विश्लेषण के नए क्षेत्रों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

Post a Comment

0 Comments