महादेव के इस मंदिर में होता कई बीमारियों का इलाज-जाने क्या है मंदिर का इतिहास...


वाराणसी। प्राचीन मान्यता है कि काशी महादेव की नगरी है जहां खुद महादेव वास करते हैं. वैसे तो वाराणसी काशी विश्वनाथ धाम के लिए प्रसिद्ध है लेकिन वाराणसी में और भी कई मंदिर हैं जो उतने ही दिव्य हैं. ऐसा ही महादेव का एक मंदिर है मृत्युंजय महादेव मंदिर. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और दरनगर से कालभैरव मंदिर के रास्ते में स्थित है. यहां एक प्राचीन कुआं है जिसका धार्मिक महत्व है और ऐसा माना जाता है कि इसका पानी कई बीमारियों का इलाज करता है. मंदिर सुबह चार बजे खुल जाता है और देर रात 12 बजे बंद हो जाता है. आरती का समय सुबह 5.30 बजे, शाम 6.30 बजे और रात 11.30 बजे है.

वाराणसी में मृत्युंजय महादेव मंदिर पूजा का पवित्र स्थान है. इस मंदिर का इतिहास एक प्राचीन कुएं और शिवलिंग से जुड़ा है. मृत्युंजय महादेव शब्द का अर्थ मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले भगवान. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग सभी भक्तों को उनकी अप्राकृतिक मृत्यु से दूर रखता है. भगवान शिव की अप्राकृतिक मृत्यु पर विजय पाने के लिए भक्तों द्वारा मृत्युंजय महादेव के रूप में पूजा की जाती है. पूरे भारत से लोग यहां आते हैं और अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मृत्युंजय पाठ करते हैं.

मंदिर के परिसर में एक प्राचीन कुआँ है जिसे कूप भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस कुएं के पानी का मानव पर चिकित्सीय प्रभाव पड़ता है. यह माना जाता है कि इसमें कई भूमिगत जल धाराओं का मिश्रण है और कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका चमत्कारी प्रभाव है. चमत्कारी कुएं के पीछे एक और कहानी यह है कि धन्वंतरि (आयुर्वेद के पिता) ने अपनी सारी दवा उस कुएं में डाल दी है, इसलिए इस कुएं का पानी पवित्र है और औषधीय प्रभाव के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के इलाज में सक्षम है.

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