2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई थी. बांदा जेल में मुख्तार अंसारी को कोई सुविधा नहीं मिल रही थी. इस बीच अचानक एक घटना से यूपी पुलिस को झटका लगा. आठ जनवरी 2019 में बांदा जेल से पंजाब के मोहाली के एक बिल्डर को कॉल करके दस करोड़ की रंगदारी मांगी गई. बिल्डर की शिकायत पर रूपनगर के माठौर पुलिस स्टेशन में मुख्तार अंसारी पर रंगदारी और गाली देने का मुकदमा दर्ज हो गया. पंजाब पुलिस ने इस केस में तेजी दिखाई और 24 जनवरी 2019 को अदालत में पेश करने के बाद मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल भेज दिया.
मुख्तार अंसारी के यूपी से पंजाब जाने की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई. एसटीएफ को छानबीन में पता चला कि प्रयागराज के लक्ष्मण मार्केट से किसी ने सिम कार्ड खरीदा था. एसटीएफ ने दुकानदार और सेल्समैन को हिरासत में लेकर पूछताछ की. सेल्समैन ने बताया कि 500 रुपये में एक आदमी ने एक्टिवेटेड सिम खरीदा था. लेकिन सेल्समैन उस व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं दे सका. आखिर में एसटीएफ ने सेल्समैन को छोड़ दिया. एसटीएफ को जांच में पता चला कि मुख्तार के करीबी ने यह मुकदमा कराया था लेकिन उस वक्त पुलिस कुछ न कर सकी. अब पंजाब के जेल मंत्री ने खुलासा किया कि मुख्तार ने अपने मुकदमे में जमानत तक नहीं कराई और पत्नी के साथ पंजाब जेल में मौज करता रहा. उस पर पंजाब सरकार ने लाखों रुपये खर्च किए.
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