भूमि अधिग्रहण में हेराफेरी कर 50 करोड़ घोटाला करने की थी तैयारी-एक हस्ताक्षर ने खोली पोल


रामपुर। भूमि अधिग्रहण में हेराफेरी कर सरकार को 50 करोड़ से अधिक की चपत लगाने का षडयंत्र था। लेकिनस मामला पकड़ में आ गया। एनएचएआइ के पत्र के बाद अपर जिलाधिकारी को एसडीएम को पत्र लिखना था। फाइल में पत्र तो लगा है, लेकिन उस पर एडीएम के हस्ताक्षर ही नहीं हैं। एडीएम ने बिना सत्यापन किए ही धारा 3-ए का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया।

जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी के साथ ही बिलासपुर के तत्कालीन उपजिलाधिकारी अशोक कुमार की भूमिका संदिग्ध है। गैर कृषि भूमि घोषित होने के कारण मुआवजा राशि बहुत बढ़ रही थी, इस कारण प्रोजेक्ट का बजट भी बढ़ गया है। इसपर राजमार्ग प्राधिकरण के अफसरों ने आपत्ति जताई है।

एडीएम वित्त एवं राजस्व के पद पर तैनात रहे डा.वैभव शर्मा नैनीताल रोड के लिए भूमि अधिगृहण के एक और मामले में फंस चुके हैं। यह जमीन सैंजनी नानकार गांव की है। इस मामले में पहले 51 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा रहा था, लेकिन पकड़ में आने पर छह करोड़ 37 लाख ही तय किया गया। इस तरह शासन को करीब 45 करोड़ का चूना लगाया जा रहा था। इस मामले में भी डीएम ने एडीएम के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा। तब उनका स्थानांतरण अपर जिलाधिकारी न्यायिक के पद पर आंबेडकर नगर कर दिया गया।

दरअसल, रामपुर से काठगोदाम तक 92 किलोमीटर लंबे हाईवे के चौड़ीकरण का कार्य 2012 से किया जा रहा है। इसे छह लेन का बनाया जा रहा है। लेकिन, अभी तक पूरा नहीं हो सका है। निर्माण कार्य के लिए पहले जिस कंपनी को ठेका दिया गया, उसने समय से काम शुरू नहीं किया। इसपर कंपनी ब्लेक लिस्टेड कर दी गई। इसके बाद दूसरी कंपनी को ठेका दिया गया। निर्माण कार्य समय पूरा न होने के कारण नैनीताल जाने वाले पर्यटकों को भी परेशानी होती है।

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