लखनऊ। प्रदेश के यादव बाहुल्य क्षेत्र आजमगढ़ और मुस्लिम बाहुल्य रामपुर लोकसभा सीट पर जीतना भाजपा के लिए कतई आसान नहीं था मगर अखिलेश यादव और आजम खां की व्यक्तिगत नजर टिकी होने के बावजूद भाजपा ने यहां जीत दर्ज की तो इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। वहीं, शनिवार को तेलंगाना में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी सुनी गई जहां इन 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में मिली जीत के मॉडल के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के जुटे पार्टी के दिग्गजों के सामने प्रस्तुत किया गया यहां से भाजपा को देशभर में उन सीटों पर विरोधियों को ढेर करने की राह दिखने लगी है जो असंभव मानी जाती है। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित सरकार और संगठन के अन्य कार्य समिति के सदस्य भी गए।
शनिवार शाम को आयोजित एक सत्र में उन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों ने प्रस्तुतीकरण किया जहां हाल में लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव चुनाव संपन्न हुए। सूत्रों के अनुसार आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर प्रस्तुतीकरण प्रदेश अध्यक्ष ने किया। कहा आजमगढ़ से अखिलेश के पहले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद थे इस सीट पर यादव आबादी बहुतायत में है ऐसे में पार्टी में अध्ययन में पाया कि सांसद रहते हुए भी अखिलेश अपने संसदीय क्षेत्र में दूरी बनाए रहे और कोरोना काल ने उनकी पकड़ और कमजोर कर दी। भाजपा ने यादव मतों में सेंध लगाने के लिए इसी समाज से भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ को प्रत्याशी बनाया जबकि सपा ने सैफई परिवार के ही धर्मेंद्र यादव मैदान में उतारा परिवारवाद की राजनीति पर प्रहार करने में भाजपा को आसानी हुई।
इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष ने रामपुर जीत की गणित को समझाते हुए बताया कि लगभग 53 फीसदी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद वहां जीत आजम खां की विवादित छवि के कारण मिली। तर्क रखा गया कि आजम अक्सर ऐसे बयान दे रहे हैं जो हिंदुत्व के विरुद्ध होते हैं और राष्ट्रवादी नागरिक उसे पसंद नहीं करते जहां मुस्लिमों ने मतदान कम किया वहीं सभी हिंदू एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में आ गए। साथ ही मोदी-योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं ने जनता का भरोसा जीतने में बड़ी भूमिका निभाई। सूत्रों ने बताया कि इस बात की सराहना करते हुए देश भर में भाजपा नेताओं ने खूब तालियां बजाई।
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