नई दिल्ली। चर्चित पंजाबी गायक शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला की हत्या 1990 के दशक में यूपी के अपराध जगत की यादें ताजा कर दी मूसेवाला की हत्या में जिस तरह एके 47 राइफल का इस्तेमाल हुआ और पूरी मैगजीन खाली कर दी गई इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के अपराध जगत से हुई थी। जिस गैंगस्टर ने पहली बार हत्याओं के लिए एके-47 और मैगजीन खाली करने की शुरुआत कि वह उस दौर में दहशत का पर्याय बन चुका था।
दरअसल, पंजाबी गायक सिद्दू मूसेवाला की हत्या 29 मई 2022 को मानसा में उनके गांव की करीब की गई थी बदमाशों ने उनकी थार गाड़ी को घेर कर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब 10 मिनट तक लगातार फायरिंग होती रही दूर से गोलियों की आवाज सुनने वालों को लगा की कहीं जबरदस्त आतिशबाजी हो रही है। जांच में पता चला कि सिद्दू मूसे वाला की हत्या में एके-47 राइफल समेत कई बंदूकों का इस्तेमाल हुआ था। फायरिंग में सिद्दू मूसेवाला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। पोस्टमार्टम के अनुसार शरीर में कुल 25 गोलियां लगी इसमें से चार गोली उसके शरीर से बरामद हुई जबकि 21 गोलियां शरीर के आर पार हो गई थी। शूटरों ने सिद्दू मूसेवाला की गाड़ी पर कुल 29 रन से ज्यादा फायरिंग की थी साफ है कि शूटर ना केवल सिद्धू की जान लेना चाहते थे। बल्कि उनका मकसद इस हत्या के जरिए दहशत प्रसार भी करना था। यही वजह है कि शूटरों ने मैगजीन खाली करने वाले अंदाज में 29 राउंड से ज्यादा फायरिंग की।
सनसनीखेज हत्या का यह तरीका 1990 के दशक में यूपी के कुख्यात बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला ने शुरू किया था। यह वह दौर था यूपी में गैंगेस्टर और बाहुबलियों का बोलबाला था। यूपी और बिहार के इलाकों में कई गिरोह सक्रिय था। उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त था। सुपारी किलिंग, अपरहण, फिरौती, कब्जा ठेकेदारी और तस्करी को लेकर इनकी गिरोहों में गैंगवार आम बात हुआ करती थीं। इस गैंगवार में ज्यादातर गिरोह देसी असलहा का ही इस्तेमाल करते थे। तब श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए एके-47 राइफल का इस्तेमाल किया। गैंगवार में या अपने विरोधियों की हत्या करते हुए श्रीप्रकाश शुक्ला एके-47 और कार्बाइन राइफल की पूरी मैगजीन खाली कर देता था। श्रीप्रकाश शुक्ला ने 1993 में सबसे पहले राकेश तिवारी नाम की एक व्यक्ति की हत्या की थी क्योंकि उसने उसकी बहन को छेड़ा था इसके बाद 1997 में लखनऊ में उसने बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही की हत्या की थी।
इस दौरान श्रीप्रकाश शुक्ला ने कई हत्याओं और गैंगवार में फायरिंग के लिए एके 47 का इस्तेमाल किया था। एके-47 की वजह से ही प्रकाश शुक्ला का दबदबा अपराध जगत में ही नहीं बल्कि राजनीति में भी बढ़ता जा रहा है वर्ष 1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी हालांकि सितंबर 1998 में यूपी पुलिस एसटीएफ ने उसे गाजियाबाद में एक मुठभेड़ में मार गिराया था। तब तक हत्याओं का यह तरीका सिनेमा जगत से लेकर अपराधियों के बीच प्रचलित हो चुका था आज भी कुख्यात गैंग अपनी दहशत कायम करने के लिए हत्या का यह तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं। सिद्दू मूसे वाला की हत्या इसी का एक उदाहरण है हत्या के पीछे भी लॉरेंस बिश्नोई गैंग का हाथ बताया जा रहा है।
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