शहादत दिवस पर याद किए गए 1857 की क्रान्ति के प्रणेता मंगल पांडेय



मनीष कुमार

आजमगढ़। 1857 की क्रान्ति के प्रणेता मंगल पाण्डेय की शहादत दिवस पर ब्राह्मण समाज कल्याण परिषद के तत्वावधान में शुक्रवार को एलवल स्थित शिविर कार्यालय पर बैठक कर उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए ब्राह्मण समाज कल्याण परिषद के अध्यक्ष ब्रजेश नन्दन पाण्डेय ने कहा कि पण्डित मंगल पाण्डेय 1857 की क्रान्ति के प्रणेता थे। उनके द्वारा बोया गया क्रान्ति रूपी बीज 90 साल बाद 1947 में आजादी के वट वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया। आजादी के महा नायक पण्डित मंगल पाण्डेय को आज 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फाँसी दी गयी ।

आजादी की लड़ाई के अग्रदूत रहे मंगल पांडेः मनोज

इस दौरान महामंत्री महामंत्री मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मंगल पाण्डेय जी देश के लिए अपने निजी स्वार्थ को त्यागने वाला देश भक्त सिपाही के रूप प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम योद्धा बने। आजादी की लड़ाई के अग्रदूत कहे जाने वाले मंगल पाण्डेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जनपद के नगवा ग्राम में हुआ था। वह ईस्ट इण्डिया कम्पनी की बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34 वीं रेजिमेंट के सिपाही थे। संदिग्ध कारतूसों के प्रयोग एवं भारतीय सैनिकों के साथ होने वाले भेद भाव के चलते मंगल पाण्डेय ने बैरकपुर की छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रजों के विद्रोह कर कई अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतार कर आजादी की लड़ाई की क्रान्ति की शुरुआत किया ।

बैठक के दौरान विश्व देव उपाध्याय, सतीश कुमार मिश्र, राधे श्याम मिश्रा, रामाश्रय उपाध्याय, सतीश चंद्र पाण्डेय, सतीश कुमार पाण्डेय, निशीथ रंजन तिवारी, गोविन्द दुबे, उपेन्द्र दत्त शुक्ला, सर्वेश चन्द्र उपाध्याय, ओम तिवारी, विकास मिश्र, ऋषभ उपाध्याय आदि उपस्थित थे ।

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