आज सपाई जानेंगे मुलायम सिंह यादव के संघर्ष की कहानी
आजमगढ़। मुलायम सिंह यादव...संघर्ष के बाद राजनीति में अलग पहचान बनाने वाले नेता। ठेट देसी अंदाज। कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद। भरी भीड़ में पुराने कार्यकर्ता को नाम से पुकारना। चेहरे पर मुस्कान, धोती-कुर्ता परिधान। ऐसे धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में न सिर्फ अपना एक अलग मुकाम हासिल किया बल्कि एक ऐसी पार्टी खड़ी कर दी, जिसने कई बार प्रदेश की सत्ता संभाली। वह न सिर्फ उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे बल्कि एक बार देश के रक्षामंत्री भी रहे। मगर, ये सब एक दिन में उन्होंने हासिल नहीं किया। राजनीति में उन्हें विरासत में नहीं मिली थी। एक साधारण से परिवार से निकलकर पहले शिक्षक और फिर राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा। देखते ही देखते वह नेताजी बन गए। उनकी खड़ी की समाजवादी पार्टी के भी बहुत से युवा नेता उनके संघर्ष की कहानी नहीं जानते होंगे। लेकिन इस बार उनके जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं को उनके संघर्ष की गाथा सुनाई जाएंगी। कैसे वह एक शिक्षक से नेताजी बने, इसके बारे में वह जानेंगे।
22 नवंबर को सपा संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है। इस दिन आजमगढ़ में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने बताया कि सभी जगहों पर विभिन्न कार्यक्रमों के साथ ही गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। इनमें नेताजी के संघर्ष और समाजवादी विचारधारा पर चर्चा की जाएगी। कार्यकर्ताओं को बताया जाएगा कि कितने संघर्ष के बाद उन्होंने पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया। मुलायम सिंह यादव का जन्म इटावा के गांव सैफई में 22 नवंबर 1939 को हुआ था। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और बीटीसी करने के उपरांत इंटर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
प्रदेश के तीन बार बने मुख्यमंत्री
5 दिसंबर 1988 से 24 जून 1991 तक।
5 दिसंबर 1993 से 3 जून 1995।
29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007।
रक्षामंत्रीः 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक।
राजनीतिक सफरः पहले सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता दल में सक्रिय रहे। फिर वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई।
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