कौन है राजा भैया!... मैं तो नहीं जानताः अखिलेश



लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को प्रतापगढ़ पहुंचे। सपा जिला अध्यक्ष की बेटी के विवाह समारोह में शामिल होने और फिर जनसभा के बाद अखिलेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारा गठबंधन जिन पार्टियों से हो चुका है, उनके साथ चुनाव लड़ेंगे। आने वाले समय में और किससे गठबंधन करना है, इसका निर्णय पार्टी की कोर कमेटी के लोग करेंगे। गठबंधन पार्टियों के सीट के बंटवारे के सवाल को वह टाल गए। रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) और मुलायम सिंह की मुलाकात और गठबंधन की अटकलों पर बोले कि कौन हैं राजा भैया... किनका नाम ले रहे हो आप। मैं तो नहीं जानता।

दरअसल, गुरुवार को भाजपा व सपा सरकार में मंत्री रहे प्रतापगढ़ की कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की थी। इसके बाद से राजनीतिक कयासबाजी का दौर चल रहा था। मुलायम सरकार में मंत्री रहे कुंडा विधायक की मुलाकात के बाद भले ही सपा का साथ उनके गठबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी लेकिन दोनों ही पक्ष से कोई ठोस संकेत नहीं मिले। अब अखिलेश यादव के बयान ने साफ कर दिया है कि उनकी नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी लगातार छोटे दलों से गठबंधन कर रही है। अभी तक जयंत चौधरी की रालोद, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा, डा. संजय सिंह चौहान की जनवादी पार्टी सोशलिस्ट, कृष्णा पटेल की अपना दल (कमेरावादी), केशव देव मौर्य की महान दल जैसे कई छोटे दल सपा के साथ आ चुके हैं। बुधवार को ही लखनऊ में आप सांसद संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद गुरुवार को भाजपा व सपा सरकार में मंत्री रहे प्रतापगढ़ की कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उनके आवास पर मुलाकात की थी। मुलायम सिंह यादव से मिलने के बाद रघुराज प्रताप सिंह ने पत्रकारों से कहा था कि इस मुलाकात को चुनाव से जोड़ कर न देखा जाए। इसके कोई दूसरे निहितार्थ न निकाले जाएं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा मुलायम सिंह के जन्मदिन पर उनसे मिलकर शुभकामनाएं देते रहे हैं, लेकिन इस बार बाहर होने के कारण जन्मदिन पर शुभकामनाएं नहीं दे पाया था। इसलिए अगले दिन मिलकर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।

 उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब सपा व बसपा का गठबंधन हुआ था तब अखिलेश के रघुराज प्रताप सिंह से रिश्ते बिगड़ गए थे। मायावती के कारण ही उन्होंने 2019 के राज्य सभा चुनाव में अखिलेश के कहने के बावजूद अपना वोट बसपा प्रत्याशी को न देकर भाजपा को दे दिया था। इस पर अखिलेश काफी नाराज भी हुए थे। वहीं अखिलेश यादव के ताजा बयान ने साफ कर दिया है कि उनकी नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है।

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