26 वीं वाहिनी पीएसी में बिजली- पानी, कूलर, बाथरुम की गंदगी और प्राइवेसी को लेकर महिला पुलिस अभ्यर्थियों का हंगामा.. कारण; कहीं डीआईजी रोहन कन्हई का आदेश तो नहीं!



मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में 26 वीं वाहिनी पीएसी में सोमवार से पुलिस की ट्रेनिंग करने आई महिला अभ्यर्थियों ने बिजली, पानी, सीसीटीवी कैमरा लगने, क्षमता से अधिक अभ्यर्थी होने तथा आईटीसी प्रभारी द्वारा गाली देने से नाराज महिलाओं ने जमकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंचे जिले के आला अधिकारियों ने महिला अभ्यर्थियों को समझा कर शांत कराया और पीएसी परिसर में भेजा। उसके बाद भी महिलाएं प्रशासनिक भवन के सामने बैठ गई और अपनी मांग पर अड़ी रही। महिलाओं का आरोप है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाएगा तब तक वह बैठी रहेगी।गोरखपुर में 26 वीं वाहिनी पीएसी कैंपस में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय हैं। जिसमें 2023 बैच की उत्तर प्रदेश नागरिक पुलिस की विभिन्न जनपदों की 598 महिलाएं सोमवार से ट्रेनिंग करने के लिए आई हैं।
महिलाओं का आरोप है कि ट्रेनिंग सेंटर में सुविधाओं का अभाव हैं। यहां एक आरो मशीन है। इस भीषण गर्मी में उन्हें दिन भर में आधा लीटर आरो का पानी मिल रहा है। पंखा और वाटर कूलर की संख्या कम हैं। बाथरूम की संख्या कम होने से ज्यादा गंदगियां है। बाथरूम की गैलरी में सीसीटीवी कैमरे लगें हैं। आरोप है कि यहा की समस्या बताने पर आईटीसी प्रभारी द्वारा गंदी-गंदी गाली दी जाती है। महिला अभ्यर्थियों का आरोप है कि पीएसी कैंपस स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर सिर्फ 300 लोगों की क्षमता के लिए बनाई गई है। जिसमे 598 महिलाओं को रखा गया हैं।
संसद सत्र चलने के कारण खबर फैलते ही राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी प्रमुख ने योगी सरकार पर जम कर निशाना साधा।समाजवादी पार्टी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा मुख्यमंत्री योगी के राज की शोषण और अत्याचार की गाथा! गोरखपुर में महिला रिक्रूटर्स के बाथरूम में कैमरे लगे हैं। अव्यवस्था से त्रस्त हुई महिलाएं, नहीं हो रही सुनवाई। प्रशासन व पुलिस मामले में त्वरित जांच कर कार्रवाई करे।
सूत्रों के अनुसार गोरखपुर पीटीएस में महिला सिपाहियों की ट्रेनिंग सोमवार से शुरू हो गई थी। उससे पहले उनका हेल्थ चेकअप होना था। इसी बीच, डीआईजी रोहन पी ने हेल्थ चेकअप के दौरान प्रेग्नेंसी जांच कराने का भी निर्देश जारी कर दिया। इसके लिए सीएमओ को पत्र लिख मेडिकल टीम बुलाई गई।
बताते हैं कि इस आदेश के बाद ही महिला सिपाही नाराज हो गईं थीं। डीआईजी के इस आदेश के बाद परिसर का माहौल गरमा गया था। मामले की जानकारी होते ही आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने डीआईजी का आदेश निरस्त कर दिया। उन्होंने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि किसी महिला सिपाही की प्रेग्नेंसी जांच नहीं कराई जाएगी।अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो वह स्वयं शपथ पत्र देकर बाद के बैच में जा सकती। दरअसल, पुलिस ट्रेनिंग के दौरान नियम है कि शादीशुदा महिला सिपाहियों की प्रेग्नेंसी जांच की जाती है। जबकि अनमैरिड लड़कियों को एक शपथ पत्र देना होता है कि वे प्रेग्नेंट नहीं हैं। जो प्रेग्नेंट होती हैं तो उन्हें ट्रेनिंग से अलग कर दिया जाता है। फिर बाद के बीच में उनकी ट्रेनिंग होती है।
भीम आर्मी चीफ और नगीना सांसद चंद्रशेखर ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि यह घटना गोरखपुर में हुई है, जो यूपी के मुख्यमंत्री का जिला है। ऐसे में यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की सीधी नैतिक और राजनीतिक जवाबदेही का प्रश्न है। गोरखपुर पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में जो कुछ भी हुआ। वह महिला सिपाहियों की गरिमा पर एक संगठित हमला है। यह घटना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, और सरकार के महिला सशक्तिकरण के दावों पर सीधा सवाल खड़ा करती है। हम यह मानते हैं- अगर वर्दी पहनने वाली महिलाएं भी राज्य में सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर आम नागरिकों की सुरक्षा का दावा खोखला है।
पीएसी सेनानायक आनंद कुमार ने बताया कि जो भी समस्या है उनका समाधान किया जाएगा। ट्रेनिंग सेंटर की क्षमता के लिए बाथरूम समेत कई निर्माण चल रहा हैं। जल्द समस्या का समाधान हो जाएगा"

Post a Comment

0 Comments