आजमगढ़: हाईकोर्ट के निर्णय से शहीद कांस्टेबल की पत्नी को मिली राहत...पुलिस भर्ती बोर्ड को तीन हफ्ते में नए सिरे से शारीरिक दक्षता परीक्षण कराने का आदेश!


आजमगढ़। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ. प्र. पुलिस के शहीद कांस्टेबल अभिषेक प्रताप सिंह की पत्नी श्रीमती विभा सिंह को राहत देते हुए उनके लिए पुलिस भर्ती बोर्ड, लखनऊ को तीन हफ़्ते में नए सिरे से शारीरिक दक्षता परीक्षण का आयोजन करने का आदेश दिया है। इनके मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अब तीन हफ़्ते में होने वाले दौड़ परीक्षा में पास हो जाने पर इन्हें कांस्टेबल की नौकरी मिल सकेगी जिससे शहीद अभिषेक प्रताप सिंह के दोनों नाबालिग बच्चों एवं उनके बूढ़े मां - बाप की देखभाल करना इनके लिए आसान हो जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि शहीद कांस्टेबल अभिषेक प्रताप सिंह अपने एक अन्य साथी कांस्टेबल के साथ वर्ष 2016 में मुगलसराय - बक्सर पैसेंजर ट्रेन में ड्यूटी पर थे कि 6 बदमाशों के एक ग्रुप से इनकी मुठभेड़ हो गयी जिसमें कांस्टेबल अभिषेक प्रताप सिंह शहीद हो गए जबकि दूसरे कांस्टेबल घायल हो गए।
शहीद कांस्टेबल अभिषेक प्रताप सिंह को राजकीय सम्मान मिला, उनकी पत्नी श्रीमती विभा सिंह को तत्कालीन राज्यपाल के द्वारा राजभवन में सम्मानित भी किया गया। लेकिन जो नहीं किया गया, वो ये कि उस शहीद के परिवार को दर - दर की ठोकरें खाने को उसके हाल पर छोड़ दिया गया, श्रीमती विभा सिंह को तत्काल कोई नौकरी नहीं दी गई जबकि तमाम शहीदों के परिजनों को सरकार तत्काल नौकरी देती है। इसके स्थान पर वर्ष 2019 में मृतक आश्रित कोटे में दरोगा पद के लिए मात्र 29 पदों के लिए भर्ती के लिए इन्हें भागीदारी करने को कहा गया जिसके फिजिकल टेस्ट को इन्होंने पास कर लिया लेकिन मात्र 29 सीटें के लिए ही हुई इस परीक्षा में लिखित परीक्षा के बाद बनी मेरिट लिस्ट में इनका अंतिम चयन नहीं हो सका। फिर इन्हें कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया के लिए 13 दिसंबर, 2023 एवं 3 अक्टूबर, 2024 को आयोजित फिजिकल टेस्ट में बुलाया गया लेकिन कमर में दर्द होने के कारण ये प्रैक्टिस नहीं कर पाने एवं डॉक्टरी परामर्श पर दोनों बार टेस्ट में नहीं जा सकीं। इसके स्थान पर इन्होंने डॉक्टर के पर्चे के साथ एक एप्लिकेशन लिख कर अगली दौड़ में शामिल होने के लिए गुहार लगाया। बाद में जनवरी, 2025 में पुलिस भर्ती बोर्ड ने इनके अवसर को समाप्त करते हुए इन्हें ग्रुप डी के लिए आवेदन करने को कहा। इसके विरोध में श्रीमती विभा सिंह ने न्याय की गुहार लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आखिरकार 17 अप्रैल, 2025 को जस्टिस अजीत कुमार की कोर्ट से उन्हें न्याय मिला। अब देखना ये है कि पुलिस भर्ती बोर्ड कितनी जल्दी इनके लिए फिजिकल टेस्ट का आयोजन करती है।

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