विवेचना के दौरान पुलिस ने अरविंद के परिवार के मोबाइल नंबरों की सीडीआर का विश्लेषण किया, जिसमें संदिग्ध मोबाइल नंबर प्राप्त हुए। काल डाटा विश्लेषण और मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस ने अरविंद को लखनऊ में ट्रेस किया। मंगलवार की दोपहर उसे आईआईएम, लखनऊ के पास से हिरासत में लिया गया। अरविंद ने पूछताछ में बताया कि वह 2006 से एलकेमिस्ट लिमिटेड कंपनी, आजमगढ़ में मार्केटिंग एजेंट का काम करता था। 2017 में कंपनी के बंद होने के बाद उसने रिश्तेदारों और अन्य लोगों से जमा किए गए रुपये वापस नहीं कर पाया। दबाव बढ़ने पर 19 जुलाई 2019 को वह अपना मोबाइल घर छोड़कर लखनऊ भाग गया। वहां उसने किराये पर कमरा लिया, ऑटो चलाया और अलग-अलग मोबाइल नंबरों से अपनी पत्नी व बच्चों से व्हाट्सएप कॉल पर बात करता रहा। अरविंद ने यह भी बताया कि उसने वासुदेव चौहान से धोखाधड़ी कर 4 लाख 42 हजार 500 रुपये लिए थे। इस मामले में वासुदेव ने उसके पिता और पत्नी के खिलाफ थाना जहानागंज में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमे को वापस लेने के दबाव में सुनीता ने वासुदेव और घरबरन के खिलाफ हत्या का झूठा मुकदमा दर्ज कराया।
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