आजमगढ़: भारतीय शिक्षा प्रणाली केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं...बल्कि जीवन मूल्यों और मानवता के समग्र विकास पर केंद्रित!


आज़मगढ़। जिला पंचायत भवन के नेहरू हॉल में भारतीय ज्ञान परंपरा और शिक्षण व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व आई.ए.एस. डॉ. एन.पी. सिंह ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली केवल जानकारी तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और संपूर्ण मानवता के विकास पर केंद्रित है। संगोष्ठी में शिक्षा विशेषज्ञों, विद्यालय संचालकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया और भारतीय शिक्षण पद्धति को और अधिक प्रभावी बनाने के उपायों पर चर्चा की। भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह ने कहा कि भारत की शिक्षा और संस्कृति केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण जीव-जगत के कल्याण का संदेश देती है। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश किया गया है और इसका प्रमाणपत्र अन्य बोर्डों के समकक्ष मान्यता प्राप्त है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि कक्षा आठ तक की पाठ्यपुस्तकें तैयार हो चुकी हैं, जिससे विद्यार्थियों को भारतीय मूल्यों के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.बी. त्रिपाठी ने भारतीय शिक्षा प्रणाली के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में केवल सूचना नहीं, बल्कि संस्कार और नैतिक मूल्यों को भी प्राथमिकता दी गई है। संगोष्ठी में कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र प्रसाद यादव, बोर्ड मंडल समन्वयक बृज मोहन, शिक्षा अधिकारी सोनी पांडेय नवाज अहमद सहित विभिन्न विद्यालयों के संचालक एवं प्रधानाचार्य उपस्थित रहे। इस दौरान भारतीय शिक्षण प्रणाली के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया और इसे और अधिक सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।

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