प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है धारा 3/7 में एफआईआर दर्ज होने मात्र से सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस नहीं किया जाएगा इसके लिए पूरी तरीके से जांच आवश्यक करना जरूरी है। यह आदेश न्यायालय की प्रकाश पीडिया की सिंगल बेंच में साजिद, यतीश कुमार सहित कल 22 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मेरठ, आगरा, मुरादाबाद, अमरोहा सहित तमाम जिलों की दुकानदारों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए केवल एफआईआर दर्ज होने के कारण लाइसेंस निरस्त करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा और दुकानदारों की दुकान को तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विशाल टंडन का कहना था कि याची का लाइसेंस जिला आपूर्ति अधिकारी मेरठ ने बिना जांच और बिना सुनवाई का मौका दिए केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर ही लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। आपूर्ति अधिकारी ने इस मामले में बिना किसी गवाह का परीक्षण किए और बिना जांच कराए लाइसेंस रद्द कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ अपील डाली गई थी जिसको कमिश्नर ने भी पूरी तरीके से खारिज कर दिया था। इसमें सरकार के 5 अगस्त 19 के शासनादेश का भी पालन नहीं किया जिसमें प्रारंभिक जांच करना जरूरी है जिसके बाद ही ये कार्यवाई की जा सकती है। इसी के चलते बजरंगी तिवारी केस में दिए गए फैसले का भी पालन नहीं किया गया था जिसमें एफआईआर दर्ज होने के आधार पर लाइसेंस निरस्त करने को अवैध करार दिया गया था। राज्य सरकार के अपराध महाधिवक्ता अशोक मेहता का तर्क था की जांच में आधार कार्ड के दुरुपयोग से राशन की ब्लैक मार्केटिंग का खुलासा हुआ और इसी मामले पर एफआईआर दर्ज की गई जिसके आधार पर कार्रवाई की गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा बिना जांच केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर दुकान का लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता। इस दौरान कोर्ट ने सभी आदेश रद्द कर दिए और सभी याचिकाएं स्वीकार कर ली है।
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