लखनऊ। प्रदेश के गाजीपुर एक ऐसा अनोखा पुल है जहां पर लोग लकड़ी की सीढ़ी के सहारे चढ़ते और उतरते हैं। शादियाबाद के सराय सदकरमें बेसो नदी पर पिछले दस साल से पुल हवा में लटक रहा है। शादियाबाद के सराय सदकरगांव में बेसो नदी बहती है और इसी नदी पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी के विधायक सुब्बा राम ने करोड़ों रुपए की लागत से एक पुल निर्माण की आधारशिला रखकर शिलान्यास करने का काम किया गया। हालांकि पुल बनने का काम तो शुरू हुआ, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में ये पुल आज भी हवा में झूल रहा है. ग्रामीणों के साथ साथ यह अनोखा पुल भी पिछले सात सालों से सम्पर्क मार्ग बनने की राह देख रहा है, लेकिन इसके बनने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। सपा सरकार के कार्यकाल में लोगों की आवागमन की समस्या को देखते हुए तत्कालीन विधायक सुब्बाराम ने बेसो नदी पर इस पुल का शिलान्यास किया था। पुल का निर्माण जोर-शोर से शुरू हुआ लगभग लगभग पुल तैयार भी हो गया, लेकिन 2017 में सरकार बदलते ही पुल का काम बंद हो गया। ऐसे में तब से लेकर आजतक पुल हवा में झूल रहा है। जानकारी के मुताबिक नदी में पानी कम होता है तो लोग उसमें घुसकर लोग इधर-उधर आते जाते हैं। वहीं नदी में पानी जब ज्यादा होता है, तो लोग लकङी की सीढ़ी के सहारे पुल पर चढ़ते और दूसरी तरफ सीढ़ी के सहारे उतरते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक पुल के दोनों तरफ सम्पर्क मार्ग बनाने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। सराय सदकर गांव के रहने वालों ने बताया कि पुल बनाने के लिए उनके जमीनों का उपयोग भी किया गया और उन्हें मुआवजा नहीं दिया। इस वजह से ग्रामीणों ने उस वक्त पुल के निर्माण को रोक दिया, लेकिन विभाग के लोगों ने अभी तक इसमें कोई एक्शन नहीं लिया है। इसके अलावा मरदह के कोर गांव और मऊ के गजेंद्रपुर गांव को जोड़ने के लिए भैसही नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से पुल का निर्माण भी 12 साल पहले शुरू किया गया। ग़ाज़ीपुर की तरफ का अप्रोच तक कई फीट नीचे कंकड़ डालकर छोड़ दिया गया, जबकि मऊ की तरफ का अप्रोच न बनने के कारण कई फीट गहरा गड्ढा हैं पुल बनने से जनपद के कोर, नखतपुर, बिजौरा, मुस्तफाबाद, नेवादा, भोजपुर, मिर्जापुर आदि गांवों के लोगों को समय और श्रम दोनों में बचत होगी।
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