इसी परिप्रेक्ष्य में यूपी पुलिस और पीएसी के बाद अब स्कूलों में स्पोर्टस टीचर के पद पर भी अग्निवीरों को समायोजित करने की सम्भावना खोजी जा रही है। चूंकि अग्निवीरों को सेना में शारीरिक दक्षता (फिजिकल ट्रेनिंग) और खेल-कूद का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) मिलता है लिहाजा सरकार माध्यमिक स्कूलों में पीटी अथवा स्पोर्टस टीचर के पदों पर अग्निवीरों को नियुक्त करना चाहती है। इससे सरकार के दो काम आसान हो जाएंगे। पहला अग्निवीरों का समायोजन का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं स्कूलों को प्रशिक्षित गेम, पीटी या स्पोर्टस टीचर मिल जाएंगे। स्कूलों में खेलकूद की कोई सुविधा नहीं होने तथा स्पोर्टस टीचर का पद रिक्त रहने या मानक के हिसाब से बेहद कम संख्या में होने का मामला कोर्ट में उठाया गया था। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को फटकार लगाई।
इसके बाद शासन से लेकर विभागीय स्तर पर हुई कवायद के बाद यह सुझाव दिया गया कि जिन स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं, वहां पास के पार्कों या खाली पड़ी सरकारी भूमि को स्कूलों को खेलकूद के लिए आवंटित कर दिया जाए। साथ ही खेल शिक्षक के पदों को संविदा अथवा आउटसोर्सिंग से शीघ्र भरा जाए। एडेड स्कूल अपने खेल के मैदानों का व्यवसायीकरण करते जा रहे हैं और धन अभाव में स्कूलों में खेल के सामान तक नहीं खरीदे जा रहे। इससे स्कूलों में खेल-कूद का माहौल समाप्त होता जा रहा है। स्पोर्टस या गेम अथवा पीटी टीचर नहीं होने से स्थिति और गम्भीर होती जा रही है। हालांकि प्रत्येक विद्यार्थी से स्पोर्ट फीस के रूप में प्रति माह पांच रुपये अर्थात साल में 60 रुपये वसूले जाते हैं लेकिन खेल का समान महंगा होने से स्पोर्टस फीस ऊंट के मुंह में जीरे के समान रह गया है।
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