लव मैरिज के 14 साल बाद इंतकाम...बहन को मरवा डाला, बच्चों को भी हत्यारों ने मरा समझ कर फेंका!


लखनऊ। हमीरपुर में बहन के प्रेम विवाह से क्षुब्ध भाई ने 14 साल बाद इंतकाम लिया। उसने डेढ़ साल पहले बहन के घर के पास भाड़े के कातिलों को प्लांट कर दिया। उन्होंने बहन के परिवार से दोस्ती गांठी और भरोसा जीत लिया। उसके बाद चित्रकूट दर्शन के बहाने एक ही कार में परिवार को लेकर निकले। रास्ते में पूरे परिवार को खत्म करने की कोशिश की। इसमें पति गाड़ी से कूद कर बच गया। पत्नी का गला घोंट कर हत्यारों ने फेंक दिया। दोनों बच्चों को भी हत्यारों ने मरा समझ कर फेंका लेकिन वे बच गए। पुलिस ने बुधवार को सुपारी देने वाले भाई को गिरफ्तार कर 21 सितंबर के इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया है। पुलिस के मुताबिक 21 सितंबर की रात कानपुर के गुजैनी से चित्रकूट दर्शन करने जा रहे सूरज यादव के परिवार को चलती कार में जान से मारने की कोशिश की गई थी। इसमें सूरज की पत्नी अमन उर्फ मीनू कत्ल हो गई जबकि सूरज व दोनों बच्चे बच गए थे। अमन के भाई धर्मेंद्र ने ही पूरे परिवार के खात्मे के लिए दस लाख की सुपारी दी थी। वह 14 साल पहले बहन के प्रेम विवाह करने से नाराज था।
बुधवार को मामले का खुलासा करते एसपी डॉ. दीक्षा शर्मा ने बताया कि बहन के साले संग प्रेमप्रसंग और बाद में घर से भागकर शादी रचाने से भाई अंदर ही अंदर अपमानित महसूस कर रहा था। वह डेढ़ साल से बहन के परिवार के सफाए का तानाबाना बुन रहा था। कत्ल के मुख्य आरोपी अभी भी पकड़ से दूर हैं। एसपी ने बताया कि कानपुर नगर के थाना चौबेपुर के मदारीपुर गांव निवासी छोटेलाल यादव के पुत्र सूरज सिंह ने 2010 में बहन विमला की ननद अमन उर्फ मीनू से भागकर शादी की थी। इससे अमन का भाई धर्मेंद्र गुस्से में था। कुछ दिन दूरी के बाद अमन की अपने परिवार से नजदीकियां बढ़ने लगी थीं। धर्मेंद्र को यह रास नहीं आ रहा था। लिहाजा उसने न सिर्फ बहन बल्कि उसके पति और बच्चों को भी रास्ते से हटाने की योजना बना डाली। एसपी के अनुसार डेढ़ साल से इस योजना पर काम हो रहा था। धर्मेंद्र ने ही कानपुर देहात के सिकंदरा निवासी त्रिभुवन चाचा उर्फ चतुर, किशनपुर थाना रामपुर कानपुर देहात के वीर सिंह जैसे हार्डकोर क्रिमिनल से संपर्क कर उन्हें इस काम के एवज में दस लाख रुपये की सुपारी दी थी। सूरज के गुजैनी वाले घर के पड़ोस में चतुर को किराए का घर दिलाया गया था। चतुर ने सूरज से दोस्ती बनाई और उसका विश्वास हासिल कर लिया। एक बार सूरज चतुर के साथ चित्रकूट की यात्रा कर चुका था। लिहाजा दूसरी बार भी चतुर को सूरज को परिवार संग यात्रा करने को तैयार करने में ज्यादा देर नहीं लगी।
21 सितंबर को गुजैनी से निकले सूरज के पूरे परिवार को राठ-उरई मार्ग पर कार सवार चतुर ने अपने साथियों के साथ मिलकर गला घोंटकर मारने की कोशिश की। सूरज चलती कार से कूद गया, जबकि उसका 10 वर्षीय पुत्र शिव उर्फ रामजी और तीन वर्षीय पुत्री परी किसी तरह बच गए। अमन उर्फ मीनू का गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी और लाश जरिया क्षेत्र के गोहांड के पास झाड़ियों में फेंकी गई थी। घटना के अगले दिन कार चालक की निशानदेही पर पुलिस ने शव बरामद किया था। 22 सितंबर को अपहरण और शव बरामदगी के बाद हत्या की रिपोर्ट लिखी गई थी। इस घटना के खुलासे में पुलिस की कई टीमें लगी हुई थी। पुलिस को शुरुआत से ही इस वारदात का मोटिव नहीं पता चल रहा था। कुछ संदिग्धों को पुलिस ने उठाया। एक-एक कर कड़ियां जोड़ी गईं, तब इस घटना के सही कारणों तक पुलिस पहुंच सकी। भाई धर्मेंद्र ने अपने परिवार की झूठी शान के चक्कर में बहन अमन को शादी के 14 साल बाद परिवार समेत जान से मारने के लिए भाड़े के हत्यारों को सुपारी दी। पुलिस अभी इस घटना में शामिल त्रिभुवन चाचा उर्फ चतुर सिंह, वीर सिंह की तलाश में हैं। दोनों ही कुख्यात अपराधी हैं।

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