लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक युवक के लिए उसकी भाभी मसीहा बनकर सामने आई और ‘नरक’ से मुक्ति दिलवाई। देवर पिछले सात साल से एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती था। उसकी भाभी मेरठ से 6000 किलोमीटर दूर जर्मनी के म्यूनिख में जॉब कर करती हैं। जब भाभी को पता चला कि उनका देवर मुसीबत में है। नशामुक्ति केंद्र में उसे टॉर्चर दिया जा रहा है तो भाभी बिना देरी किए भारत पहुंचीं। उन्होंने देवर को नशामुक्ति केंद्र से निकाला और अपने साथ आगरा ले गईं।
जब भाभी को पता चला कि वहां और भी पेशेंट हैं जिनके साथ ऐसा ही सलूक किया जा रहा है तो उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ई-मेल से पत्र लिखकर इस केंद्र की अमानवीयता बयां की। बस फिर क्या था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस पर एक्शन लिया। फिर यहां से 23 अन्य पेशेंट को भी मुक्त करवाया गया। जानकारी के मुताबिक, आईटी कंपनी संचालित कर रही पूजा मिश्रा जर्मनी के म्यूनिख शहर में रहती हैं। जब उन्हें पता चला कि सात साल से मेरठ के भूड़बराल के पास ओम साईं धाम कॉलोनी में संचालित नवजीवन दान नशा मुक्ति केंद्र में देवर को तरह-तरह की यातनाएं दी जा रही है। वह सहन नहीं कर पाई और मेरठ आ गईं।
उन्होंने 18 जुलाई के दिन देवर को इस केन्द्र से मुक्त कराया। इसी दौरान उन्हें इस केन्द्र पर नशा छुड़ाने से ज्यादा अमानवीय यातना देने की जगह नजर आईं। उन्होंनें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ई-मेल के जरिए शिकायत दी। आयोग ने उप्र के डीजीपी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की। डीजीपी ने डीएम और एसएसपी को तत्काल टीम गठित कर इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया। पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के दौरान एनआरआई महिला आगरा से मेरठ आ गई और 23 अन्य लोगों को भी इस केन्द्र से मुक्त कराया।
पूजा का कहना है कि केंद्र में छोटे व गंदगी से भरे कमरों में कई-कई लोगों को कैद कर रखा गया था। वहां डाक्टर, नर्स व परामर्शदाता भी मौजूद नहीं था। कमरे के साथ एक ही शौचालय था। पूजा मंगलवार को सुभारती अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का हाल जानने पहुंचीं। उन्हें देखकर कई पीड़ित फूट-फूटकर रोने लगे। कहा कि आपकी इस पहल से ही उनको उस नरक से मुक्ति मिली। पीड़ितों में सेना से सेवानिवृत्त एक अधिकारी भी थे। एक युवक ने दावा किया कि उसे नशे की लत नहीं थी, लेकिन संपत्ति के विवाद के चलते उसे जबरन इस केंद्र में भर्ती करा दिया गया। ऐसे में उसे घर जाना संभव नहीं लगता। पूजा ने कहा कि मानवाधिकार आयोग के आदेशानुसार प्रशासन को पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। सुभारती मेडिकल कालेज के अस्पताल में भर्ती 23 मरीजों में से 19 के स्वजन से संपर्क हुआ है। मंगलवार शाम तक 10 को स्वजन अपने साथ ले गए थे। चार-पांच बीमार लोगों का उपचार चल रहा है। अब इस नशामुक्ति केंद्र के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है। मामले में जांच जारी है।
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