PM मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा मुर्दा...प्रशासनिक भ्रष्टाचार को करेंगे उजागर!


लखनऊ। वाराणसी लोकसभा सीट पर बेहद दिलचस्प तस्वीर देखने को मिल रही है, जहां पीएम मोदी के खिलाफ एक श्जिंदा मुर्दाश् ने ताल ठोंक दी है। इस शख्स का नाम लाल बिहारी मृतक हैं जो कागजों में मुर्दा घोषित किया जा चुका है। इस बार उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से ताल ठोंक दी है। लोकसभा क्षेत्र 77 वाराणसी से लालबिहारी मृतक सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष मृतक संघ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लाल बिहारी मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है। लाल बिहारी पर एक फिल्म भी बन चुकी है। वो अब तक कई चुनाव लड़ चुके हैं।



लाल बिहारी मृतक को जिंदा रहते हुए भी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने तहसील व जिला प्रशासन की छोड़िए केंद्र व राज्य की सरकार और उसके जनप्रतिनिधियों तक का दरवाजा खटखटाया लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में उन्होंने अपने जैसे अन्य कागजों में मुर्दा लोगों को इकट्ठा कर मृतक संघ की स्थापना की और खुद उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसके बाद कागजों में मुर्दा हुए लोगों की लड़ाई संगठनात्मक रूप से लड़ी जाने लगी। लाल बिहारी ने बताया कि मृत घोषित लोगों के मौलिक अधिकारों की पहचान के लिए तीन बार लोकसभा चुनाव और तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि वे जिस व्यक्ति के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, उनसे जीतेंगे नहीं। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान लोग यह तो जान ही जाएंगे कि विभागीय मिली भगत से जिंदा रहते हुए लोगों को मृतक घोषित कर दिया जा रहा है और न्याय कहीं से नहीं मिल रहा है।

लाल बिहारी मृतक के जीवन पर फिल्म कागज बनी है। जिसमें उनके जीवन के संघर्ष को दिखाया गया है। लालबिहारी अब तक कई चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के इस्तीफे के बाद 1988 में इलाहाबाद सीट से वीपी सिंह के खिलाफ भी लोकसभा चुनाव लड़ा था। 1989 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राजीव गांधी के मुकाबले नामांकन किया था। 2004 में आजमगढ़ के लोकसभा क्षेत्र लालगंज सुरक्षित से भी चुनाव लड़ा। इसके अलावा आजमगढ़ के ही मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से 1991, 2002 और 2007 में भी वे चुनाव लड़ चुके हैं। 2024 की लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं उन्होंने साफ किया कि वह चुनाव के जरिए प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करेंगे। जैसे लोग जान सके कि किस तरह कागजों में जिंदा व्यक्ति को मुर्दा बनाया जाता है।

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