बलराम यादव ने साफ कहा कि इस बार वो विधान परिषद जाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी उम्र का भी हवाला दिया। अखिलेश यादव की पहली पसंद मैनपुरी जिलाध्यक्ष आलोक शाक्य थे, लेकिन बलराम यादव की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ गया। खबरों के मानें तो अखिलेश यादव ने बलराम यादव को काफी समय तक समझाने की कोशिश की, जिसके बाद आलोक शाक्य और उन्हें आमने-सामने बिठाकर भी बातचीत करने की कोशिश की गई। बलराम यादव ने सपा अध्यक्ष के सामने अपनी उम्र का भी हवाला दिया, जिसके आलोक शाक्य खुद ही पीछे हट गए।
सपा अध्यक्ष ने इस बार अपने पीडीए के फॉर्मूले को भी साथ रखने की कोशिश की। बसपा से आए गुड्डू जमाली को विधान परिषद भेजकर सपा ने आजमगढ़ के किले को और मजबूत कर लिया लिया है। जमाली का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है। पिछले उपचुनाव में उन्हें ढाई लाख से ज्यादा वोट मिले थे। सपा के तीसरे उम्मीदवार किरण पाल कश्यप भी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में आते हैं। उनके नाम पर पहले ही मुहर लग गई थी। उनकी कश्यप वोटरों पर खासी पकड़ मानी जाती है। सपा की कोशिश है कि पार्टी से ज्यादा से ज्यादा जातियों के लोगों को जोड़ा जाए। राज्यसभा चुनाव से सबक लेते हुए सपा ने इस बार अतिरिक्त प्रत्याशी भी नहीं उतारा।
0 Comments