क्या बसपा-कांग्रेस में भी होगा गठबंधन? प्रत्याशी घोषित ना करने के निकाले जा रहे हैं निहितार्थ


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के अभी तक प्रत्याशी न उतारे जाने के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अंदरखाने खिचड़ी पक रही है और नतीजे के लिए आचार संहिता लगने का इंतजार है। पिछले सप्ताह कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच एक राउंड की और बातचीत हो चुकी है। इंडिया गठबंधन के तहत प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा हो चुका है। सपा अभी तक 29 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक अपने खाते में आई 17 सीटों में से किसी पर भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। इंडिया गठबंधन के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने फिलहाल यूपी में प्रत्याशियों की घोषणा के लिए इंतजार करने के संकेत दिए हैं। 11-12 मार्च को इस पर विचार करने के लिए कहा है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि बसपा नेतृत्व ने भी अपने कोआर्डिनेटरों से टिकट के लिए और आवेदन न लेने के लिए कहा है। वहीं, सपा ने 20 फरवरी को अपनी तीसरी सूची जारी की थी। उसके बाद से उसकी कोई सूची नहीं आई है। जबकि, भाजपा यूपी में 51 प्रत्याशी उतार चुकी है। कांग्रेस की ओर से बसपा को इंडिया गठबंधन में शामिल करने के प्रयास तेज हो गए हैं। बसपा की ओर से जवाब में ’’न’’ के बजाय इंतजार करने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है कि आचार संहिता लागू होते ही इस गुफ्तगू के नतीजे सामने आएंगे।

बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति बीआरएस (बीआरएस) के साथ गठबंधन करने की घोषणा की है। बसपा के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष आरएस प्रवीण कुमार ने हैदराबाद में बीआरएस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से मंगलवार को मुलाकात के बाद गठबंधन करने का घोषणा की। बता दें कि इससे पहले बसपा ने तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ा था। जल्द ही बसपा सुप्रीमो मायावती की सहमति से दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा होगा। उल्लेखनीय है कि बसपा ने अभी तक किसी भी दल के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन नहीं किया था। इस पहल के बाद बसपा का बाकी राज्यों में भी अन्य दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।

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