बहन की सूनी गोद भरने के लिए अपहरण... 600 कैमरे खंगाले, फिर ऐसे दबोचा!


कानपुर। कानपुर के फूलबाग से पिछले शनिवार को दो साल के बच्चे कार्तिक का अपहरण करने वाले दोनों आरोपियों को पुलिस ने देर रात मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। भगवतदास घाट के पास हुई जवाबी फायरिंग में दोनों के पैर में गोली लगी है। इसके बाद बच्चे को भी किदवईनगर के एक अस्पताल से सकुशल ढूंढ निकाला गया। मुख्य आरोपी ने बताया कि शादी के 18 साल बाद भी बहन के बच्चे नहीं हैं। ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते हैं। उसकी सूनी गोद भरने के लिए दोस्त के साथ मिलकर बच्चे का अपहरण किया था। बच्चे के बदले बहन उसे पैसे भी देती। बच्चे को अपने पास रखने वाली अविवाहित बहन को भी गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस लाइन सभागार में डीसीपी अपराध एवं मुख्यालय आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि उन्नाव के सफीपुर निवासी छोटू राजपूत करीब दो दशक से फूलबाग फलमंडी के पास रहते हैं। वेटर का काम करने के साथ ही सब्जी का ठेला लगाते हैं। परिवार में पत्नी गुड्डा, 12 वर्षीय बेटी वैष्णवी, आठ वर्षीय बेटी पल्लवी, छह वर्षीय बेटा शिब्बू और दो साल का बेटा कार्तिक है। 24 फरवरी की शाम को घर के बाहर फुटपाथ पर खेलने के दौरान बाइक सवार दो युवक कार्तिक का अपहरण कर ले गए थे। डीसीपी ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर फीलखाना थाना पुलिस के साथ ही सर्विलांस, क्राइम ब्रांच समेत पुलिस की सात टीमें कार्तिक व अपहरणकर्ताओं की तलाश में जुटीं थीं। जानकारी हो चुकी थी कि अपहरण करने वाले किदवईनगर साइट नंबर दो निवासी रज्जन और किदवईनगर एम ब्लॉक निवासी पंकज गुप्ता हैं। सटीक सूचना पर पुलिस ने भगवतदास घाट के पास दोनों की घेराबंदी की। बाइक से दोनों को आता देख उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में दोनों के पैर में गोली लगी। इससे दोनों सड़क पर गिर गए। इलाज कराने के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपियों की निशानदेही पर किदवईनगर स्थित एक निजी अस्पताल से बच्चे कार्तिक को भी लेकर परिजनों को सौंप दिया गया। दोनों आरोपियों और मुख्य आरोपी की छोटी बहन को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। वहीं डीजीपी ने अपहरण का खुलासा करने वाली टीम को दो लाख का इनाम देने की घोषणा भी की है। डीसीपी अपराध व एसीपी कोतवाली अर्चना सिंह ने बताया कि फीलखाना पुलिस, एसीपी की टीम, क्राइम ब्रांच और डीसीपी ईस्ट की टीम से करीब 80 पुलिसकर्मी जांच में लगाए गए थे। पुलिस ने करीब 600 सीसीटीवी फुटेज खंगाले। जूही चौराहे पर एक सीसीटीवी फुटेज मिला। इसमें दोनों युवक बाइक से बच्चे को ले जाते नजर आए थे। फुटेज से आरोपियों की बाइक का नंबर मिल गया। यह बाइक किदवईनगर निवासी श्रम विभाग के कर्मचारी रामभजन के नाम रजिस्टर्ड थी। उनसे पूछताछ में पता चला कि बाइक उनका बेटा रज्जन चलाता है। इसके बाद से पुलिस रज्जन की तलाश में जुटी थी।

पुलिस की पूछताछ में मुख्य आरोपी रज्जन ने बताया कि बहन पूनम की शादी 2006 में आजमगढ़ में हुई थी। 18 साल बाद भी उसके कोई संतान नहीं है। ससुराल के लोग उससे मारपीट करते और ताने देते हैं। पूनम ने उससे कहा था कि कोई बच्चा गोद मिल जाए तो वह पैसा भी देने को तैयार है। पिता रामभजन ने भी बेटी पूनम के लिए बच्चा लाने पर रज्जन को पैसे देने की बात कही थी। रुपयों के लालच में आकर रज्जन ने दोस्त पंकज के साथ मिलकर कार्तिक का अपहरण कर लिया। अगवा करने के बाद रज्जन ने कार्तिक को अपनी छोटी बहन नीतू को सौंप दिया था। दो दिन पहले पूनम ससुराल से मायके आई तो कार्तिक उसके सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद पूनम बीमार पड़ गई तो उसे किदवईनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बच्चा भी पूनम के साथ अस्पताल में ही था।

डीसीपी ने बताया कि कार्तिक को अगवा करने से पहले इन लोगों ने जगहों से बच्चा अगवा करने का प्रयास किया था। किसी वजह से साजिश में सफल नहीं हो पाए। पुलिसकर्मियों ने बताया कि जब वे लोग बच्चे की तलाश में अस्पताल पहुंचे, तो कार्तिक चिप्स खा रहा था, लेकिन गुमसुम था। कई बार रोने भी लगा, लेकिन जैसे ही उसकी नजर मां, दादी और बड़ी बहन पर पड़ी तो खिलखिलाकर हंसने लगा। मां-मां करने लगा। यह देख उसकी दादी और मां भावुक होकर फफक पड़ीं। पुलिसकर्मियों को उन्होंने धन्यवाद दिया। दादी ने कहा कि अगर आरोपी की बहन को बच्चा चाहिए था, तो वह मांगती, तो लिखापढ़ी करके दे देते।

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