मायावती और अखिलेश को राहत देगा पल्लवी पटेल का फैसला?


लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए हर पार्टी अब जोड़ तोड़ के साथ नए समीकरणों को साधने में जुट गई है। भारतीय जनता पार्टी,पिछले दो बार की तरह फिर से इस बार अपने पुराने फॉर्मूले के साथ आगे बढ़ रही है। पार्टी की नजर इस बार फिर से ओबीसी वोटर्स पर है। लेकिन सबसे खास बात ये है कि इस बार बीजेपी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, इस बार चुनाव में अखिलेश यादव अपनी पुरानी रणनीति से अलग पीडीए के फॉर्मूले पर चलते नजर आ रहे हैं. PDA में P यानी पिछड़ा ,ऐसे में उनकी नजर भी पिछड़े वोटर्स पर टिकी हुई है। बीते दो चुनावों की हार के बाद वह इस बार नए रास्ते पर निकल पड़े हैं। कांग्रेस इसी फॉर्मूले पर उनका साथ देती हुई नजर भी आ रही है। पार्टी ने बीते जातीय जनगणना और तमाम मुद्दों के जरिए उसी पिछड़े तबके को साधने की कोशिश की है।

दूसरी ओर मायावती भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तरह बीजेपी की मजबूती को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने फिर से पुराने फॉर्मूले से तहत मुस्लिमों के साथ ब्राह्मण और राजपूत को अपनी पार्टी में तवज्जो देना शुरू कर दिया है। पहली दो लिस्ट में बीएसपी ने 25 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया। इसमें सुरक्षितों सीटों पर 7 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे तो 4 ब्राह्मण उम्मीदवारों को भी मौका दिया है। इसके अलावा बीएसपी ने राजपूत और जैन को भी इस बार अपने लिस्ट में तवज्जो देने की पूरी कोशिश की है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ब्राह्मण और राजपूत समाज का बड़ा तबका इस वक्त बीजेपी के साथ है। यानी मायावती भी बीजेपी के वोटर्स में ही सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में अखिलेश यादव और मायावती पूरी तरह बीजेपी की मजबूत कड़ी को एक साथ चुनौती दे रहे हैं।

अब पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल कमेरावादी ने आगामी चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी, प्रेम चंद्र बिंद और बाबू राम पाल की पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। अब राज्य में पश्चिम की आठ सीटों पर नामांकन खत्म हो चुका है। जबकि आठ सीटों पर नामांकन अगले तीन दिनों में खत्म हो जाएगा। यानी यह गठबंधन अब पश्चिमी यूपी से बाहर अवध और पूर्वांचल पर फोकस करेगा। तीसरे मोर्चे के नेता पल्लवी पटेल, प्रेम चंद्र बिंद और बाबू राम पाल ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि राज्य में करीब 37 फीसदी ओबीसी वोटर्स हैं। अब पश्चिमी यूपी के बाद जब अवध और पूर्वांचल में चुनावी रणनीति को ये नेता धार देंगे तो बीजेपी के लिए सीधी चुनौती होगी क्योंकि इन दोनों ही इलाकों में ओबीसी तबका पूरी तरह बीजेपी के साथ रहा है। राजनीति के जानकारों की मानें तो आगे इन तीनों नेताओं के चुनाव लड़ने का असर पूर्वांचल और अवध के इलाके में देखा जा सकता है।अगर इन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी के ओबीसी वोट में सेंध लगा सकते हैं। ऐसे में बीजेपी के खिलाफ इनके चुनाव लड़ने से मायावती और अखिलेश यादव को राहत मिलने की संभावना है।

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