निरहुआ से मिली हार का हिसाब चुकता करने की बारी...क्या खुद को साबित कर पाएंगे धर्मेंद्र यादव!


आजमगढ़। समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी है। इस सूची में अखिलेश यादव ने बदायूं सीट को लेकर बदलाव किया है। पहली सूची में सपा ने यहां से धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन, अब उनकी जगह चाचा शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। धर्मेंद्र यादव का टिकट बदलने के बाद उन्हें आज़मगढ़ और कन्नौज लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया गया है। जिसके बाद अब वो फिर पुरानी चुनौती का सामना करते हुए दिखाई देंगे।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए तीसरी सूची में पांच उम्मीदवारों के नामों का एलान किया है, जिसमें बदायूं सीट पर उम्मीदवार के नाम को बदलकर चाचा शिवपाल यादव को टिकट दिया गया है। बदायूं सीट सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का गढ़ रही है। यहां से उनका भावनात्मक लगाव भी रहा है। यहां के मुस्लिम वोटरों में शिवपाल यादव की छवि भी अच्छी है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा ने धर्मेंद्र यादव को यहां से मैदान में उतारा था लेकिन, बीजेपी की संघमित्रा मौर्य के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। जिसे देखते हुए पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

धर्मेंद्र यादव को अब पार्टी संगठन की ज़िम्मेदारी दी गई है। उन्हें आजमगढ़ और कन्नौज में लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया है। धर्मेंद्र यादव पर अब इन दोनों सीटों पर सपा के पक्ष में समीकरण तैयार करने की ज़िम्मेदारी होगी। ये फ़ैसला इसलिए और अहम हो जाता है क्योंकि चर्चा की जा रही है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार कन्नौज और आजमगढ़ दोनों सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। धर्मेंद्र यादव के लिए भी आजमगढ़ नया नहीं है। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद जब अखिलेश यादव ने इस सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था तो यहां हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को ही आज़मगढ़ से उम्मीदवार बनाया गया था हालांकि इस सीट पर उन्हें बीजेपी के दिनेशलाल यादव निरहुआ के हाथों हार का सामना करना पड़ा। धर्मेंद्र यादव को आज़मगढ़ की ज़िम्मेदारी मिलने के बाद वो एक बार फिर पुरानी चुनौती का सामना करते दिखेंगे। जहां उन पर न सिर्फ़ ख़ुद को साबित करने का मौक़ा होगा बल्कि वो निरहुआ के हाथों मिली हार का भी हिसाब चुकता कर पाएँगे।

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