यूपी में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, रालोद एक साथ इंडिया गठबंधन के घटक दल के तौर पर चुनाव लड़ने वाले हैं। सपा ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर रखी हैं. इसी कड़ी में लखनऊ में पार्टी का महामंथन भी हुआ। इसी बीच सपा के एक खास लिफाफे को लेकर चर्चा चल रही है।
इस बैठक में सोमवार और मंगलवार को जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, विधायक, पिछला विधानसभा लड़ने वाले सभी सपा कैंडिडेट्स और विधानसभा के प्रभारियों के हाथों में एक सफेद लिफाफा दिखा है। 11 जनवरी को भी ये सिलसिला जारी रहेगा। ऐसे में सबके मन में ये सवाल है कि आखिर इस लिफाफे में ऐसा क्या है? सूत्रों की मानें तो इसमें 2024 के चुनाव का मंत्र है। ऐसा मंत्र जिससे बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के तूफान को रोका जाये और 2014-2019 के चुनाव में पांच पर रुकी अपनी सीटों की संख्या बढ़ाई जाये।
सूत्रों के अनुसार लिफाफे में पहला मंत्र है- बूथ स्तर पर पीडीए का मजबूत समीकरण बनाने की कोशिश की जाये। पीडीए के तहत कम से कम 10 ऐसे प्रभावशाली लोगों को चिह्नित करना है, जिनकी विचारधारा भी समाजवादी है। दूसरा मंत्र- सपा ब्लॉक और तहसील के स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का अभियान शुरू करें. तीसरा मंत्र- सपा श्पॉलिटिक्स फ्रॉम बिलोश् के कॉन्सेप्ट पर लौटे। चौथा- समाजवादी पार्टी अपने शुरुआती दिनों के प्रयोग पर चले मतलब श्बैक टू रूट्सश् पर जायें।
समाजवादी पार्टी बनाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने ब्लॉक और तहसील स्तर पर कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ा और सपा को काडर बेस्ड पार्टी बनाया। पांचवां सूत्र- सपा ब्लॉक इकाई गठित करें, सभी स्थानों पर ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त करें और इकाई अध्यक्ष बनायें। छठा मंत्र- पार्टी संगठन की निगरानी के लिए सभी जोन में प्रभारी बनाएं। सातवां मंत्र- अयोध्या राम मन्दिर के सवाल पर बोलने से बचे और बोलना हो तो कहें कि हमारा भगवान तो पीडीए है। सूत्रों के मुताबिक, आठवां मंत्र है- दूसरी पार्टी के मजबूत नेताओं की तलाश कर उन्हें पार्टी से जोड़ें। नौवां मंत्र- दलितों के घर-घर जायें और जाकर उनके घर रात्रि विश्राम करें। दसवां मंत्र- सवर्ण और खासकर ब्राह्मणों को जोड़ने के लिये ब्राह्मण नेता ब्राह्मणों के गांव जाकर उनके घर रात्रि विश्राम करें।
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