लखनऊ। यूपी में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार का पेंच फिलहाल फंस गया है। अटकलें थीं कि घोसी उपचुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। हालांकि ओम प्रकाश राजभर विस्तार का जल्द दावा कर रहे हैं मगर अंदर खाने अभी सुगबुगाहट नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले बीजेपी कील कांटों को दुरुस्त कर लेना चाहती है। 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी की रणनीति आयोगों और निगमों में एडजस्टमेंट पर है। निगम और आयोग प्रमुखों की नियुक्ति के लिए स्क्रीनिंग शुरू हो गई है। पिछले दिनों 70 फीसदी जिलाध्यक्षों को बदले जाने के बाद जल्द ही एक और बदलाव देखने को मिलेंगे।
लंबे समय से खाली आयोग और निगम में अध्यक्ष और सदस्यों के पदों को भरने की कवायद तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में फिलहाल महिला आयोग, गौ सेवा आयोग, एससी एसटी आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग समेत दर्जन भर सदस्यों और अध्यक्षों की नियुक्तियां होनी हैं।लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कार्यकर्ताओं को निगमों और आयोगों की कमान देना चाहती है। कार्यकर्ता भी पैरवी और लॉबिंग करने में जुट गए हैं। बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी, अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी निगमों, आयोगों और बोर्डों में जगह मिलने की उम्मीद है। बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा पिछले 2 महीनों से चल रही है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी की सहमति से मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी मिलेगी। दो नामों को योगी सरकार में शामिल किए जाने की चर्चा जोर शोर से थी। घोसी में आए नतीजों के बाद दो नाम फिलहाल गायब हैं। ओम प्रकाश राजभर दावा कर चुके हैं कि बीजेपी मोदी, अमित शाह और नड्डा की है।
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