Mj vivek
आजमगढ़। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पूरे प्रदेश के जिला अध्यक्षों में फेर बदल किया है। आजमगढ़ के जिला अध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह को हटाकर पहली बार पिछले समाज से आने वाले वरिष्ठ नेता श्रीकृष्ण पाल को जिले की कमान सौंपी गई है। वर्ष 1995 में मंडल बनने के बाद लगातार सामान्य वर्ग से ही जिला अध्यक्ष बनते रहे हैं। लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने पिछड़े समाज से अध्यक्ष बनाकर इस समाज को साधने का साफ संकेत दिया है।
आजमगढ़ जिले के बनकट बाजार के पास गढ़वल गांव के रहने वाले श्री कृष्ण पाल को राजनीति विरासत में मिली है। इनके बाबा गणेरिया (पाल) समाज के बड़े चौधरी में शामिल रहे हैं। हालांकि इनके पिताजी शिक्षण कार्य से ही जीवन यापन किया। लेकिन इन्होंने छात्र राजनीति से अपना सियासी सफर शुरू किया। वर्ष 1974 में विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के बाद शिवली पीजी कॉलेज से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा। इसी दौरान इमरजेंसी लागू होने पर पूरी सक्रियता से जमकर संघर्ष किया। वर्ष 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े और अपने कार्यशैली के बल पर वर्ष 1989 में जिला अध्यक्ष के पद पर काबिज हुए। इसी समय पूरे देश में राम जन्मभूमि आंदोलन चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया था जिसमें सक्रिय भागीदारी निभाने के कारण इन्हें एक माह का जेल यात्रा भी करना पड़ा।
वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री बने और अपने स्वभाव व कार्यशैली की वजह से तीन बार इस पद पर कार्यरत रहे फिर उन्होंने उपाध्यक्ष का भी पद पूरी तन्मयता से निर्वहन किया। इसके बाद प्रदेश सहसंयोजक, प्रदेश मंत्री, क्षेत्रीय मंत्री जैसे पदों पर सुशोभित रहे। वर्ष 1991 में घोषित प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने के बाद पार्टी के निर्देश पर पहली बार जिले के गोपालपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें कम मतों के अंतर से दूसरे स्थान पर ही जगह मिली। पार्टी ने पुनः 1993 व 1996 में पार्टी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा लेकिन इन दोनों चुनाव में भी उन्हें दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। लगातार तीन चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने के कारण बसपा पार्टी के दो बड़े नेताओं ने इन्हें अपने पार्टी में शामिल करने का ऑफर दिया। लेकिन उन्होंने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। हालांकि विधानसभा में उनके समाज के हजार मत से भी कम लोग हैं लेकिन यह अपने स्वभाव और कार्य शैली की वजह से पार्टी को जीत तो नहीं दिला सके फिर भी हर बार दूसरे नंबर पर रखने में सफल रहे।
गोपालपुर विधानसभा में पार्टी ने पिछले 20 वर्षों तक कई प्रयोग किया लेकिन उनका मत संख्या 2200 पर आकर सिमट गई थी। फिर पार्टी ने इन्हें वर्ष 2017 में विधानसभा का प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में भी उन्होंने 58000 मत पाकर दूसरे स्थान पर ही रहे। लगातार परिश्रम और सक्रिय रहने के बाद भी वर्ष 2022 की विधानसभा में टिकट न मिलने के बाद भी पूरी तरह से सक्रिय रहे। वर्तमान में 2016 से लगातार प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रहे। लेकिन अब पार्टी ने उन्हें जिला अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
0 Comments