आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच आज आएंगे शिवपाल...उपचुनाव में मिली हार की होगी समीक्षा;ये होंगे निशाने पे!


Mj Vivek

आजमगढ़। जिले में समाजवादियों का हमेशा से दबदबा रहा है। इस बात का प्रमाण पिछले विधानसभा चुनाव में मिलता है जब समाजवादी पार्टी ने जिले की सभी 10 विधानसभा सीट पर जीत का पताका लहराया। वर्ष 2014 लोकसभा के चुनाव में स्वयं सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी। उसके बाद वर्ष 2019 में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान करहल सीट से विधायक बनने के बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दी थी। उसके बाद हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व सांसद धर्मेंद्र सिंह यादव को भाजपा के भोजपुरी फिल्मों की स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने मामूली वोटों के अंतर से हार दिया। इस हार को समाजवादी आज भी पचा नहीं पाते हैं।

हालांकि अभी हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव में समाजवादियों ने पूरे जिले में सबसे ज्यादा सीटों पर विजयश्री के साथ ही आजमगढ़ व बिलरियागंज नगर पालिका सीट पर पहली बार जीत दर्ज कर फिर साबित किया है कि जिले में अब भी कोई चुनावी मुकाबले टिक नहीं सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव होने में अभी कुछ समय है। देश की मुख्य पार्टियां दो खेमो में एनडीए और इंडिया में विभक्त होते नजर आ रहे है। समाजवादी पार्टी से राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है। शिवपाल यहां से चुनाव लड़ते हैं या कोई और मैदान में उतरता है इस प्रश्न का जवाब तो भविष्य के गर्भ है लेकिन समाजवादी पार्टी लोकसभा उपचुनाव में मिली हार को जीत में बदलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। वही चाचा-भतीजे विवाद प्रकरण के दौरान जिले में भी समाजवादी पार्टी दो खेमे में बंट गई थी इसकी झलक अभी हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के जन्मदिन वाले कार्यक्रम के पोस्टर में शिवपाल यादव का फोटो न होना मीडिया की सुर्खियां बना था।

वही राजनैतिक रणनीतिकारों का मानना है कि शिवपाल का जिले में हमेशा से अच्छी पकड़ रही है अगर वह यहां से चुनाव लड़ते हैं तो उपचुनाव में मिली हार का बदला लिया जा सकता है। ऐसे में राष्ट्रीय महासचिव का दौरा अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है आज नेहरू हाल में होने वाली बैठक में जिले के पूर्व मंत्री, विधायक, विधान परिषद सदस्य व संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे। सूत्रों की माने तो इस बैठक में उपचुनाव के हार के कारणों की चर्चा के साथ-साथ चुनाव में अति आत्मविश्वास के कारण ढुलमुल रवैया अपनाने वाले कार्यकर्ताओं पर भी नजर रखी जाएगी। ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में फिर समाजवादी पताका लहराया जा सके।

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