मिली जानकारी के अनुसार, मोनिका और मोनिस लखनऊ में किसी विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान संपर्क में आए। इस शादी को लेकर बेनाम को सोशल मीडिया पर 'ट्रोल' किए जाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विवाह तो ठीक है, लेकिन इसे सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए इस तरह कार्ड छपवाकर लोगों की भावनाएं आहत करना ठीक नहीं है।
पौड़ी के गौसेवा आयोग के सदस्य धर्मवीर गुसाईं ने कहा, ''आज भी उत्तराखंड में छोटी धोती (छोटे ब्राह्मण) और बड़ी धोती (बड़े ब्राह्मण) का बहुत महत्व है। ऐसी शादी को सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए इस प्रकार का आयोजन अशोभनीय और निंदनीय है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में यह इस तरह पहला मामला है कि जिसमें राजनीतिक पद पर आसीन व्यक्ति इस तरह कार्ड के जरिये निमंत्रण भेज रहा है।
गौरतलब है कि बेनाम पहले कांग्रेस में थे और 2003 में पहली बार नगर पालिका पौड़ी के अध्यक्ष बने। वर्ष 2007 में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर वह पौड़ी से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़े और विधायक बने। वर्ष 2013 में वह पुनः नगर पालिका अध्यक्ष बने और वर्तमान में वह भाजपा नेता के तौर पर तीसरी बार नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। इस बीच, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि पार्टी के संज्ञान में ऐसा कोई मामला अभी नहीं आया है। साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा जबरन धर्मांतरण और 'लव जिहाद' का हर हाल में विरोध करती है।
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