पर अब भी इस सवाल का न मिला जवाब!
अतीक-अशरफ की जिस तरह लाइव मीडिया कवरेज के दौरान पुलिस कस्टडी में हत्या हुई, उसके बाद एसआईटी को बहुत मशक्कत करने की जरूरत ही नहीं है। देश-दुनिया तक इसके वीडियो प्रसारित हुए और सबने लाइव-मर्डर देखा। इसके बाद एसआईटी को बयान आदि लेकर सिर्फ कड़ियां ही जोड़नी बची हैं। तीनों शूटरों ने भी मौके पर ही सरेंडर कर दिया था, इसलिए किसी अन्य की सीधी गिरफ्तारी भी शेष नहीं। इसी कारण घटना के चश्मदीदों के बयान के साथ ही सीन रीक्रिएशन, आरोपियों से पूछताछ, उनके बयान दर्ज करने आदि की कार्रवाई की जा चुकी है। घटना से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्य मसलन सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग व वीडियो फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट आदि भी एकत्र किया जा चुका है।
अफसरों को अभी शूटरों की पिस्टल की बैलिस्टिक रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे यह भी तय हो जाएगा कि मौके से बरामद असलहों से ही हत्या की गई है। सूत्रों का कहना है कि शूटर लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य के खिलाफ सारे सबूत खुद चीख-चीखकर हकीकत बयां कर रहे हैं। एसआईटी इसी आधार पर उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है। घटना से जुड़े अन्य राज का पता लगाने के लिए वह कोर्ट से पूरक चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांग सकती है। अनुमति मिलने पर मामले की विवेचना जारी रखकर अन्य साक्ष्य जुटाए जा सकते हैं।
यह तो बच्चों को भी पता है कि अतीक-अशरफ की हत्या तीन शूटरों ने की, लेकिन यह किसने कराई? यह वो सवाल है, जिसे पता करना ही एसआईटी की सबसे बड़ी चुनौती है। सूत्रों की मानें तो एसआईटी कितने ही दावे करे, लेकिन इस दिशा में एक कदम भी बढ़ती हुई नहीं दिख रही है। अभी तक की जांच से यह साफ हो चुका है कि इन शूटरों की हैसियत ऐसी कतई नहीं कि वो सात-आठ लाख रुपये मूल्य की विदेशी पिस्टल खरीद सकें। होटलों में ठहर सकें और किसी न्यूज चैनल का कैमरा-माइक लेकर पुलिस कस्टडी में हत्या की साजिश रच सकें। जाहिर है, इसके पीछे कोई ब़ड़ा खिलाड़ी है। वो कौन है, इसे हर कोई जानना चाहता है।
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