जे पी अवार्ड से सम्मानित होंगे आजमगढ़ के राम शब्द सिंह



आजमगढ़। लोकनायक जयप्रकाश राष्ट्रीय कला और संस्कृति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली एल. एन. जे. पी. आई. एस. डी. सी. के सहयोग से भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में इस वर्ष का वार्षिक जेपी अवार्ड कार्यक्रम 2022 आगामी 21 दिसंबर 2022 को आयोजित करने जा रहे हैं। एल. आई. सी. इंडिया, वाइड एक्सपोर्ट और ए.सी.एस ड्राइमिक्स के सहयोग से दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में होने जा रहे इस भव्य जे पी अवार्ड समारोह के मुख्य अतिथि लोकसभा स्पीकर श्री ओम बिरला, विशिष्ट अतिथि केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह तथा सम्मानित अतिथि के रूप में पद्मश्री शोभना नारायण एवं कंज्यूमर अफेयर्स के वर्तमान सचिव श्री रोहित सिंह मौजूद रहेंगे ।


इस सम्मान समारोह में देश के कला-संस्कृति क्षेत्र के पुरोधाओं को लोकनायक राष्ट्रीय स्मृति सम्मान - 2022 से सम्मानित किया जायेगा। इस सम्मान समारोह में कला जगत के अलावा भी कई अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले 33 विभूतियों को सम्मानित किया जायेगा। कला संस्कृति से जुड़े पुरोधा में कुछ दृश्यकला में अहम् योगदान देने वाले चित्रकार, कला समीक्षा-कला लेखन और कला- प्रोत्साहन जैसे क्षेत्रों के खास लोगों को भी सम्मानित किया जा रहा है। जिसमे प्रसिद्ध समकालीन चित्रकार अर्पणा कौर, नई दिल्ली से, प्रसिद्ध इंस्टालेशन कलाकार, निदेशक, गोवा संग्रहालय सुबोध केरकर गोवा से, वरिष्ठ लोक कलाकार श्री राम शब्द सिंह (कोहबर कला‌) आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से, पूर्व आयुक्त और वरिष्ठ कला लेखक श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, मध्य प्रदेश से, पत्रकार, कला-संस्कृति लेखक श्री आलोक पराड़कर लखनऊ उत्तर प्रदेश से एवं बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एवं महानिदेशक, बिहार म्यूजियम,पटना श्री अंजनी कुमार सिंह पुरस्कृत होंगे।


बुधवार को नई दिल्ली में लोकनायक लोककला सम्मान से श्री राम शब्द सिंह, वरिष्ठ लोक कलाकार, कोहबर कला‌ को जे पी पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यह पहली बार होगा कि उत्तर प्रदेश के लोककला चित्रों को एक बड़े सम्मान से सम्मानित किया जायेगा। चित्रकार रामशब्द सिंह का जन्म 1 जुलाई 1950 उत्तर प्रदेश के जनपद आजमगढ़ के लालगंज अहिरौली गाँव में हुआ है। वर्तमान में वे सहारनपुर में रहते हुए कलाकर्म कर रहे हैं। इनकी कला शिक्षा 1977 में चित्रकला विषय से काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से हुई है। इन्होंने वाराणसी जनपद की लोककलाओं का विश्लेषणात्मक अध्धयन पर मेरठ विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। 


कला के क्षेत्र में देश के कई राज्यों से इन्हें अनेकों पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनकी लोककलाओं के चित्रों की प्रदर्शनी भी एकल एवं सामुहिक रूप से देश के कई हिस्सों में लगाई गई है। साठ से अधिक कार्यशालाओं, कला शिविरों में भी आपने भाग लिया है। आपके कृतित्व पर 13 विद्यार्थियों ने पी.एच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की है। 1998 में इनके सांझी कला पर एक फ़िल्म भी बनाई गई है। प्रकाशन के रूप में लोक रीति रिवाज शीर्षक से पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जो राज्य ललित कला अकादमी, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के द्वारा प्रकाशित है। लोककला से ओतप्रोत डॉ रामशब्द सिंह ने उत्तर प्रदेश के लोकचित्रों को लेकर काफी कार्य किया है। आज भी 72 वर्ष की अवस्था मे आप निरंतर कलाकर्म किये जा रहे हैं। 


आज भी इनके चित्रों से ग्रामीण अंचलों की मिट्टी से ओतप्रोत लोककला की खुश्बू फैल रही है। रामशब्द के चित्र देश ही नहीं विदेशों में भी भारत की कला संस्कृति की झलक को दर्शाती है। राम शब्द सिंह कहते हैं कि हमे अपने लोककलाओं की उन धरोहरों को सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके अभाव में देश की तमाम लोककलाएं दम तोड़ती नज़र आ रही हैं। यह हम सबकी जिम्मेदारी है, और मैं उसी जिम्मेदारी का वहन कर रहा हू।

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