आजमगढ़ः दुर्गा पंडाल समितियां कृपया ध्यान दें, इन नियमों का पालन जरूरी...


पंकज सिंह

आजमगढ़। मुख्य अग्निशमन अधिकारी सत्येंद्र पांडेय ने बताया कि विगत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र का पर्व 26 सितम्बर से प्रारम्भ होकर आगामी 05 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। इस अवसर पर जगह-जगह माता श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन-अर्चना किया जाता है, जिसमे काफी जन समूह एकत्रित होते है। माता श्री दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापना हेतु किये जा रहे अस्थायी संरचना (पण्डाल) में भारतीय मानक संख्या 87585ः1998 तथा 2190ः1992 के अनुसार अग्निसुरक्षा व्यवस्था किये जाने हेतु निर्गत किये गये निर्देशों का पालन किया जाना जनहित में आवश्यक होगा। जिससे जनपद आजमगढ़ में दुर्गापुजा/दशहरा त्योहार सकुशल सम्पन्न हो सके।

उन्होंने कहा कि माता श्री दुर्गा जी प्रतिमा स्थापित करने वाले समस्त व्यवस्थापक/दुर्गापुजा समितियों के प्रबंधकों से पण्डाल निर्माण करते समय कई अग्निशमन सुरक्षा सम्बन्धी उपाय करने कि अपेक्षा की जाती है। जिसके अंतर्गत पण्डाल की ऊंचाई 03 मी0 से कदापि कम न होने पाये। पण्डाल के चारो तरफ 03 मी0 का खुला स्थान अवश्य रखा जाये। पण्डाल निर्माण में सिंथेटिक कपड़ो/रस्सी का प्रयोग पूर्णतः वर्जित है। पण्डाल के निर्माण में केवल सूती कपड़ा/त्रिपाल/फायरप्रुफ कपड़ो से ही किया जाय तथा बांस बल्ली बांधने हेतु केवल सूती रेशमी/नारियल के रस्सी का ही प्रयोग किया जाय। पण्डाल/ढाचा का प्रवेश/निकास मार्ग की चौड़ाई व ऊचाई 05 मी0 से कम नहीं होना चाहिये।

पण्डाल/ढ़ाचा निर्माण करते समय यह ध्यान रखा जाय कि पण्डाल से बाहर कोई भी निकास द्वार 15 मी0 से अधिक दुरी पर न हो। पण्डाल में दो आकस्मिक द्वार का निर्माण किया जाये, जिसकी चौड़ाई 03 मी0 से कम न हो। पण्डाल की संरचना मजबूत बांस बल्लियो से कराया जाय तथा बांस बल्लियों के मजबूती का प्रमाण पत्र लोक निर्माण विभाग आजमगढ़ से प्राप्त किया जाय। पण्डाल ढ़ाचा मे नंगे चिराग का प्रयोग तथा पण्डाल के अन्दर सजावटी प्रकाश व्यवस्था किया जाना पूर्णतः वर्जित है, व पण्डाल के आस-पास किसी प्रकार का आतिसबाजी नही जलाया जाय। पण्डाल में प्रकाश व्यवस्था हेतु नंगे/कटे-फटे तारों का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है, तथा हाईलोजन लाईट का प्रयोग नही किया जाय।

पण्डाल में प्रकाश व्यवस्था किसी लाईसेंस प्राप्त ठेकेदार से ही कराया जाय तथा विद्युत सुरक्षा अधिकारी प्रमाण-पत्र अवश्य प्राप्त किया जाय। विद्युत तारो की वायरिंग पण्डाल के कपड़ो से कम से कम 15 सेमी0 दूर रखा जाय। पण्डाल में किचन का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है तथा किचन पण्डाल से 03 मी0 दूरी पर ही टिनशेड में बनाया जाय। पण्डाल की सुरक्षा हेतु उक्त समिति के 02 सदस्यों को राउण्ड द क्लाक निगरानी हेतु सदैव पण्डाल में उपस्थित बने रहना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि पण्डाल में अग्निसुरक्षा व्यवस्था हेतु पण्डाल में कम से कम दो फायर एक्सटींग्यूसर सदैव कार्यशील दशा में बनाये रखना आवश्यक है। पण्डाल में निकास एवं प्रवेश द्वारो पर 200 ली0 क्षमता के पानी के ड्रम अवश्य रखा जाय। बालू तथा पानी से भरा फायर बकेट मय स्टैण्ड से बनाये रखना अनिवार्य है। किसी सुरक्षित स्थान पर 10 घनफिट बालू की व्यवस्था बनाये रखना अनिवार्य है। बालू स्टाक के पास एक बेल्चा कि व्यवस्था की जाय। जगह-जगह पर धुम्रपान निषेध पट्टिका लगाया जाना अनिवार्य है। उक्त आदेश का पालन न करने वाले के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

आकस्मिक टेलीफोन नम्बर फायर स्टेशन ब्रम्हस्थान कन्ट्रोलरूम न0-112/ 101/9454418617, 9454418618 फायर स्टेशन बूढनपुर कन्ट्रोल रुम न0-9454418619, 9454418617, फायर स्टेशन लालगंज कन्ट्रोल रूम न0-9454418620, 9454418621, फायर स्टेशन महराजगंज कन्ट्रोल रूम न0-783861588 व फायर स्टेशन मार्टिनगंज कन्ट्रोल रूम न0-7839861643 एवं स्थानीय थाने का टेलीफोन नं0 का बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य है। 

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