एशिया की सबसे बड़ी मंडी में पहुंचते ही चीनी पर भारी पड़ा गुड़...


मुजफ्फरनगर।
एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी में एक अक्तूबर से गुड़ की आवक शुरू हो गई है. पहले दिन गुड़ के मूल्य ने चीनी को पछाड़ दिया है. गुड़ 1651 रुपये का 40 किलो बिक गया. व्यापारियों ने गुड़ लाने वाले कोल्हू संचालकों का स्वागत किया. मंडी नए गुड़ की खुशबू से महक उठी है. जिले में गुड़ का उत्पादन एक अक्तूबर से प्रारंभ हो गया. मुजफ्फरनगर में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी है और पूरे देश में गुड़ की सप्लाई यहीं से होती है. जिले में लगभग तीन हजार कोल्हू हैं, जिन पर गुड़ बनता है. यह इस जिले का सबसे बड़ा ग्रामीण उद्योग है. लगभग पांच हजार लोग इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े हुए है. चीनी मिलों में पेराई सत्र 15 अक्तूबर के बाद प्रारंभ होता है और कोल्हू एक अक्तूबर से प्रारंभ हो जाते हैं.

गुड़ मंडी में पहले दिन पांच दुकानों पर गुड़ पहुंचा. सभी ने कोल्हू संचालकों का स्वागत किया. पहले ही दिन गुड़ ने चीनी को पछाड़ दिया. चीनी का थोक मूल्य 3600 से 3700 के बीच चल रहा है. जबकि गुड़ पहले ही दिन गुड़ चाकू 1651 रुपये प्रति 40 किलो यानी की 4127 रुपये 50 पैसे क्विंटल बिक गया. इसी तरह गुड़ लड्डू 1590, खुरपा 1415 और शक्कर 1561 रुपये प्रति 40 किलो बिकी. मूल्य की जंग में पहले ही दिन गुड़ और शक्कर ने चीनी को मात दे दी. पहले दिन रिसाल सिंह, जय नारायण सिंह फर्म पर गुड़ खुरपा और गुड़ चाकू पहुंचा. इस गुड़ की खरीद फर्म के रामनिवास मित्तल ने की. मंडी में अचिंत मित्तल के प्रतिष्ठान पर तिगरी गांव के नसीम गुड़ लेकर पहुंचे. यहां व्यापारियों ने गुड़ लाने वाले कोल्हू संचालकों का स्वागत किया.

दि गुड़ खांडसारी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि मंडी में गुड़ के सत्र का शुभारंभ हो गया है. अभी कम चार-पांच कोल्हू ही चले हैं, इसलिए आवक कम है, लेकिन 15 अक्तूबर तक गुड़ की आवक बढ़ जाएगी. एसोसिएशन के मंत्री श्याम सिंह सैनी ने बताया कि भंडार गृहों से गुड़ तेजी के साथ निकल रहा है. रेवड़ी और गजक का सीजन भी अब शुरू हो चुका है, ऐसे में पुराने गुड़ की खपत उसमें होने के चलते मांग बढ़ गई है. पुराना गुड़ भी इस समय 3500 रुपये क्विंटल बिक रहा है. अब गोदामों में बहुत कम पुराना गुड़ बचा है.

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