Mj Vivek/ आजमगढ़। अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के तत्वावधान में जिला पंचायत भवन स्थित नेहरू हाल में संत शिरोमणि बाबा गणिनाथ जी की जयंती के अवसर पर विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिला महामंत्री रतन गुप्ता ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष रविवार को सुबह करीब 9.00 बजे से बड़े हर्ष उल्लास साथ जयंती मनाई जाएगी। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष राज्य मंत्री मनीष गुप्ता व मा0 उपसभापति पीसीएफ रमाशंकर जायसवाल व संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता चेयरमैन बेल्थरा आदि का आगमन हो रहा है। कार्यक्रम के अध्यक्ष शंकर प्रसाद ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ संत शिरोमणि गणीनाथ जी पूजनोत्सव, हवन व झंडारोहण किया जाएगा। करीब दस बजे समाज के लोगों द्वारा रक्त दान किया जाएगा। इसके बाद आए हुए अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया जाएगा। करीब पांच बजे मेधावी छात्रों के सम्मान के बाद भव्य आरती कर कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
जाने कौन है संत शिरोमणि
प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती ने बाबा भोले शंकर से संतान प्राप्ति की अभिलाषा प्रकट की. महादेव ने मैया के आंचल में अक्षत-फूल डाल दिया. मानस पुत्र के रूप में वहीं सुन्दर दिव्य बालक गणिनाथ के रूप में प्रकट हुए. बिहार के वैशाली स्थित धर्मपुर राज पलवैया में बाबा गणिनाथ धाम का प्राचीन मंदिर है. कलांतर में मंदिर गंगा में समाहित हो गया है. नए मंदिर का निर्माण कार्य कराने की समाज की ओर से तैयारी चल रही है। भाद्र महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद का शनिवार का दिन कुल देवता को समर्पित है. जिससे गणिनाथ गोविन्द पूजन किया जाता है. बाबा गणिनाथ भगवान शिव का अंश हैं. बाबा का लालन-पालन एक मध्यदेशीय वैश्य परिवार में हुआ था. कुलदेवता के रूप में उन्हें पूजा जाता है.
चंदेल के राजा राजा धंग की पुत्री खेमा से हुई विवाह
स्वामी गणिनाथ जी का जन्म मंसाराम से हुआ था, वह बिहार के वैशाली जिले गंगा नदी के किनारे रहते थे. कई किंवदंती के अनुसार, उन्होंने बचपन से ही चमत्कार मैजिक दिखाना शुरू कर दिया था. उनके चमत्कारों को देखकर लोगों ने शिव अवतारी मानते थे. तभी से लोग उनका नाम गणिनाथ रखा था. विक्रम संवत 1024 में, उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय में भाग लिया और तप और योग के बल से साथ आठ सिद्धियों और नौ निधि में महारत हासिल की। उनका विवाह चंदेल के राजा राजा धंग की सौ पुत्री खेमा से हुई थी। गणिनाथ महाराज के 3 पुत्र और 2 पुत्री के पिता बने पुत्र का नाम क्रमरायचंद्र, श्रीधर, गोविंद, सोनामती और शिलमती थे। वो अपने जीवन काल में तप और योग से बहुत सारी सिद्धियां हासिल की।
भीषण युद्ध में यवनों सेना की हुई पराजय
विक्रम संवत 1060 में गणिनाथ एक महान राजा बन गए राजा बनने के बाद, गणिनाथ ने अपने पूर्वज राजाओं द्वारा जीते गए सभी राज्यों को एकीकृत किया, ताकि उनमें स्वशासन और व्यवस्था स्थापित कर सके. प्रेम, सहअस्तित्व और करुणा के साथ उन्होंने सभी राज्यों को एक राज्य में एकीकृत कर दिया. यवनों के शासन से समाज को मुक्त कराने के लिए उन्होंने एक सेना बनाई, जिसका नेतृत्व उनके पुत्रों रायचंद्र और श्रीधर ने किया था. भीषण युद्ध में यवनों सेना की पराजय हुई. यवनों के नेता सरदार लाल खान बाबा, बाबा गणिनाथ से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए और जीवन भर उनकी सेवा की. बाबा गणिनाथ महाराज और माता खेमा ने एक साथ हाजीपुर के पलवैया धाम में समाधि ली थी।
अगस्त महीने में बाबा गणिनाथ जी की वार्षिक जयंती
गणिनाथ मेला प्रतिवर्ष अगस्त महीने में बाबा गणिनाथ जी की वार्षिक जयंती पर आयोजित किया जाता हैं, गणिनाथ का मेला की स्थापना लगभग 85 साल पहले मद्धेशिया वैश्य महासभा संघ द्वारा की गई थी। पूर्व में मेले का आयोजन बिहार के वैशाली जिले के महनार में किया जाता हैं, जहां गंगा में गणिनाथ मंदिर और देवता का क्षरण होता था. अब बाबा गणिनाथ मेला वैशाली जिले के हाजीपुर के पास बिद्दुपुर में आयोजित किया जाता हैं, गणिनाथ मेला कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक बाद मनाया जाता हैं, गणिनाथ जयंती हलवाई, मद्धेशिया और कानू समुदाय द्वारा मनाई जाती है.
गणिनाथ जी के अनमोल वचन
“स्मरण रखिये हर बड़े की शुरुआत छोटे से होती है“
“मिलो की यात्रा एक कदम से ही शुरू होती है।”
“मुसीबतों से बचने की कोशिशें नई मुसीबतों को जन्म देती हैं“
“गिरने पर भी हर बार उठ जाना और दुबारा कोशिश करना ही असली विजय है।”
“गुलामी की तरह जीवन जीना, जीवन का अपमान जैसा है।”
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