Mj Vivek आजमगढ़। पूर्वाचल की राजनैतिक नगीना का आज विधान परिषद में अंतिम दिन है। सपा के संस्थापक सदस्य और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी रहे जिले के अतरौलिया विधान सभा से पांच बार विधायक व तीन पर एमएलसी और तीन बार कैबिनेट मंत्री का कार्य भार संभाले वाले बलराम यादव को बाबूजी के नाम से जाना जाता है। आज यानी 6 जुलाई 2022 को उनकी तीसरे एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। राजनैतिक रस्साकशी और उम्र के इस पड़ाव पर अब बहुत कम संभावना है कि वे चौथी बार एमएलसी की जिम्मेदारी संभाले। लेकिन जब तक सांसे चलती रहेगी सपा को मजूबती प्रदान करते रहेंगे। ऐसा उनके समर्थकों का माना है।
बलराम यादव के राजनैतिक जीवन की बात करे तो उन्होंने 1967 में बीकेटी से राजनीति की शुरूआत की। 1971 में पहली बार अतरौलिया ब्लाक का प्रमुख चुने गए। इस जीत के बाद राजनैतिक सक्रियता बढ़ाई और 1980 में अतरौलिया विधान सभा से विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन विजयश्री नहीं मिली। दो वर्ष बाद 1980 में लोक दल ने उन्हें आजमगढ़ का जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। वर्ष 1985 में पहली बार लोक दल के टिकट पर अतरौलिया विधान सभा से विधायक चुने गए। लोकदल ने उन्हें प्रदेश का महामंत्री बना दिया।
1989 में लोकदल का जनता दल में विलय हो जाने के बाद अतरौलिया से दूसरी बार जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए। 1990 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अपनी कैबिनेट में पंचायत राज विभाग का मंत्री बना दिया। 1991 में जनता दल को छोड़कर समाजवादी जनता दल के टिकट पर तीसरी बार विधायक चुने गए। 1992 में मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर समाजवार्दी पार्टी का बीजारोपण किया। वर्ष 1993 में सपा के टिकट पर बलराम यादव अतरौलिया से चौथी बार विधायक बन गए। और मुलायम सरकार में उन्हें कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार मिला।
लबोलुआब राजनैतिक में तेजी से बढ़ते कदमों को वर्ष 1996 में कांग्रेस-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी विभूति निषाद ने अतरौलिया विधान सभा के चुनाव में हरा दिया। तब 1998 में आजमगढ़-मऊ एमएलसी चुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने। 2002 में एमएलसी रहते हुए अतरौलिया से सपा के टिकट पर पांचवी बार विधायक चुने गए। लेकिन वर्ष 2007 में हुए विधान सभा चुनाव में बसपा के सुरेन्द्र मिश्रा ने बलराम यादव को हरा दिया। 2010 में दूसरी बार एमएलसी बने। कार्यकाल पूरा होनेे बाद 2016 में तीसरी बार एमएलसी बने और 2017 में अखिलेश सरकार में पंचायती राज विभाग का कैबिनेट मंत्री बने।
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