गोरखपुर। आमतौर पर बैड एंट्री कटवाकर इंस्पेक्टर, दरोगा थानेदारी की कुर्सी पा लेते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एडीजी अखिल कुमार ने रेटिंग की जो नई व्यवस्था बनाई है, उसमें पब्लिक से रिश्ते बेहतर रखने ही होंगे। क्योंकि, पब्लिक ही पुलिस के आचरण को बताएगी और उसी के हिसाब से रेटिंग होगी। यह व्यवस्था अभी तो ट्रायल के तौर पर शुरू की गई है, लेकिन जल्द ही इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद रेटिंग का सर्टिफिकेट तबादले के साथ दिया जाएगा। मसलन, अगर गैर जनपद तबादला हुआ तो रेटिंग सर्टिफिकेट भी साथ जाएगा। इससे साफ है कि खराब छवि वाले तबादले के बाद भी थानेदारी नहीं पा सकेंगे।
छवि सुधारने के लिए पब्लिक से मांगी राय
जानकारी के मुताबिक, एडीजी ने पुलिस की छवि सुधारने के लिए पब्लिक से ही राय मांग ली है। सोशल मीडिया, आईजीआरएस, डायल 112 रिस्पांस आदि से पुलिस से पब्लिक के रिश्ते को आंका जाएगा। पब्लिक वोट करेगी कि पुलिस कितना बेहतर काम कर रही है। इसी से रेटिंग होगी और इसमें सुधार की कोशिश भी। सुधरने वालों को मौका दिया जाएगा तो वहीं नियमित शिकायत आने पर कार्रवाई तय है। एडीजी की इस पहल की शुरुआत एक अप्रैल से हो गई है। एडीजी अखिल कुमार का मानना है कि इससे पब्लिक से ही पुलिस की कार्यप्रणाली की सही जानकारी मिल पाएगी। पुलिसकर्मियों का भी यह भ्रम खत्म हो जाएगा कि पब्लिक उनका कुछ नहीं कर सकती है।
एक अप्रैल से वोट देने की शुरुआत
एक अप्रैल से वोट देने की शुरुआत कर दी गई है। सात अप्रैल तक आम लोग ट्विटर पर सीधे अपनी राय दे सकते हैं। एडीजी जोन गोरखपुर के ट्विटर पर अति उत्तम, उत्तम, साधारण और खराब की श्रेणी दी गई है। इस पर वोट करने वाले की पहचान भी नहीं उजागर होगी। इससे पता चलेगा कि पुलिस कैसे काम कर रही है। पहले दिन की गई शुरुआत में 42 प्रतिशत लोगों ने पुलिस के काम को अति उत्तम, 19.5 प्रतिशत ने उत्तम, 20.3 प्रतिशत ने साधारण और 22.5 प्रतिशत ने खराब बताया है।
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