बाहर आयी यूपी सरकार की गुटबाजी, योगी ने दीपोत्सव मनाया, केशव-ब्रजेश ने नाराजगी!



राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी बनायीं दूरी!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। योगी सरकार का नौंवा दीपोत्सव सत्ता का दंगल बन गया। राजनीतिक गलियारे में यह माना जाता है कि अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पोषित करने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले दिन से ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जयघोष कर प्रदेश से बाहर भी विज्ञापन देकर अपना प्रचार कराते हैं। योगी ने दीपोत्सव का आयोजन कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को धार देने के बहाने अपनी छवि को राज्य से बाहर फैलाने के साथ विरोधियों को पीछे ढकेल दिया। नौवें दीपोत्सव की भी तैयारी भी जोर-शोर से हुई थी। लेकिन रविवार को जब सुबह का अखबार खुला तो सरकार में बैठे अफसरों की चाल बाहर आ गयी। दीपोत्सव के विज्ञापन में दोनों उपमुख्यमंत्रियों का नाम गायब था। जबकि अयोध्या के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह का नाम शामिल किया गया था। बताते हैं कि विज्ञापन में स्थान न मिलने से नाराज दोनों डिप्टी सीएम पहले प्रदेश नेतृत्व से बात किया, उसके बाद राष्ट्रीय नेतृत्व से शिकायत किया। फिर अपना-अपना अयोध्या दीपोत्सव के लिये प्रस्तावित कार्यक्रम निरस्त कर दिया। शाम तक राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी अयोध्या दीपोत्सव में न पहुंच कर सबको चौंका दिया। राज्यपाल के न आने का कारण स्पष्ट नहीं हुआ लेकिन उनसे जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल की भूमिका स्पष्ट नहीं थी। उन्हें वहां क्या करना है। खुद को राम की उपासक मानते हुये राज्यपाल ने किसी भी विवाद में पड़ने की जगह स्वयं की आयोजन से दूरी बना कर शीतयुद्ध की तपिश बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दीपोत्सव का रिकॉर्ड भले बना लें लेकिन यह दीपोत्सव सत्तारूढ़ पार्टी की खेमेबाजी बढ़ा कर गयी है। हो सकता है कि निकट भविष्य में इसका असर देखने को भी मिले।
यह खबर आग की तरह फैल गयी कि अयोध्या दीपोत्सव में योगी सरकार के दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल नहीं होंगे। मजे की बात तो यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों पार्टी की ओर से स्टार प्रचारक हैं। भाजपाई यही सोच कर परेशान हैं कि बिहार में पूछा जायेगा कि एक स्टार प्रचारक दूसरे स्टार प्रचारक और अपने सरकार के पिछड़े उपमुख्यमंत्री को अपने साथ नाम रखना पसंद नहीं वह बिहार में समानता का संदेश दे रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना का बहुत तगड़ा मजाक उड़ाया है। माना जा रहा है कि वह बिहार चुनाव में भी इसको हवा देंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा के पिछड़ने के बाद एकजुटता का संदेश देना था।लेकिन गुटबाजी में सब बिखर गये। दीपावली पर इस घटनाक्रम ने योगी सरकार की गुटबाजी और खींचतान को सबक सामने ला दिया है।
हालांकि, सूचना विभाग के अफसरों तर्क दे रहे हैं कि सूर्यप्रताप शाही प्रभारी मंत्री हैं। इसलिए उनका नाम छपा है। जबकि कार्यक्रम का नोडल विभाग संस्कृति विभाग है, इसलिए जयवीर सिंह का नाम छपा है।
इस मुद्दे पर अखिलेश यादव ने भी तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा- जनता पूछ रही है कि यूपी भाजपा सरकार में 'उप-मुख्यमंत्री' के दोनों पद समाप्त कर दिए गए हैं क्या? विज्ञापन में कनिष्ठ मंत्रियों के नाम तो दिख रहे, लेकिन डिप्टी सीएम साहब लोगों के नहीं। कहीं यहां भी 'हाता नहीं भाता' या 'प्रभुत्ववादी सोच' तो हावी नहीं हो गई।
अबकी बार, डिप्टी सीएम बाहर !
दरअसल, डिप्टी सीएम केशव मौर्य बिहार चुनाव में सहप्रभारी बनाए गए हैं। वह अयोध्या जाने के लिए लखनऊ पहुंच गए थे, लेकिन ऐनवक्त पर उन्होंने वहां जाने का कार्यक्रम कैंसिल कर दिया। वह घर पर ही लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। ब्रजेश पाठक रविवार सुबह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ रहे। इसके बाद वह अपने घर पर ही लोगों से मिल रहे हैं। पिछले वर्ष की तरह अयोध्या जाने का ताना बाना बुन रहे थे। तब तक इस खबर ने स्थिर पानी मे हिलोरें उठा दिया।
भाजपा के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बताया कि दोनों डिप्टी सीएम सरकार से नाराज चल रहे हैं। सरकार की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में दोनों डिप्टी सीएम को अक्सर नहीं बुलाया जाता। जबकि संसदीय कार्य और वित्तमंत्री सुरेश खन्ना और जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह अक्सर सीएम के साथ मंच साझा करते हैं।


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