यूपी में भाजपा गठबंधन के साथियों ने एक मंच पर आकर भाजपा पर दबाव बढ़ाया!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। विधानसभा चुनाव 2027 को उत्तर प्रदेश में राजनैतिक दलों का कसरत शुरू हो गया है। बसपा से निकले डॉ संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर, और अपना दल एस के संस्थापक सोने लाल पटेल की पार्टी के नेता तथा जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने दिल्ली में एक साथ मंच साझा किया। मौका था डॉ संजय निषाद के निषाद पार्टी का दसवें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का। इसमें भाजपा नेताओं को भी बुलाया गया था लेकिन भाजपा की तरफ से कोई जिम्मेदार नेता नहीं पहुंचा। दिल्ली में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली पार्टियों की बैठक ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस कार्यक्रम में खुद को वास्तविक पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मंच बताते हुए, बुधवार को तालकटोरा स्टेडियम में जाट, राजभर, निषाद और पटेल समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले चार दलों ने भाजपा और विपक्ष दोनों का ध्यान खींचा। जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए।
भीड़ से गदगद जोड़-तोड़ के माहिर निषाद पार्टी के नेता और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने लोगों से आह्वान किया कि यदि उनके समुदायों की आरक्षण की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो यूपी विधानसभा का घेराव किया जाएगा। यह मांग भाजपा के लिये परेशानी का शबब बन गया है।इस मौके पर संजय निषाद ने कहा कि "यूपी में एक पीडीए (सपा द्वारा प्रेषित) का नैरेटिव चल रहा है, लेकिन यह मंच पीडीए नेतृत्व की एकता के लिए वास्तविक मंच है। जब सभी को एक जैसा दर्द महसूस होता है, तो क्या मंच एक जैसा नहीं हो सकता?" उन्होंने कहा कि राजनीतिक इतिहास ने दिखाया है कि जब ये समुदाय एक साथ आते हैं तो वे शक्तिशाली बन जाते हैं।
उनके साथी यूपी मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी निषाद के घेराव के आह्वान का समर्थन किया। भाजपा से अपनी मांग पूरी करने के साथ विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस, सपा और बसपा ने पिछले 70 सालों में पिछड़े और अनुसूचित जातियों का शोषण करने का आरोप लगाया। बता दें कि इन चारों दलों का भाजपा से गठबंधन घाटा-मुनाफा तौल कर बनता-टूटता रहता है। यदि ये सभी दल सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिल गये तो 2027 में भाजपा की बहुत दुर्दशा हो जायेगी। इन दलों की एक सबसे कॉमन जो विशेषता है वह ये है कि सभी दलों के मुखिया गृहमंत्री अमितशाह से सीधे बात करते हैं। उनके लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरी वरीयता पर आते हैं। सपा के साथ उनको एक व्यक्ति से गठबंधन करना और सत्ता चलाना होता है।जबकि भाजपा में गठबंधन की डील दिल्ली नेतृत्व से और सरकार प्रदेश नेतृत्व के साथ चलाना पड़ता है।
इस आयोजन पर प्रतिक्रिया देते हुए अपना दल (एस) के नेता आशीष पटेल ने कहा कि सत्ता की चाबी मंच पर मौजूद चार पार्टियों के पास है।उन्होंने कहा, "आज असली पीडीए इस मंच पर मौजूद है - आरएलडी (राष्ट्रीय लोक दल), सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस)। सत्ता की चाबी इन चार पार्टियों के पास है।" निषाद पार्टी के सम्मेलन में निमंत्रण के बावजूद किसी भाजपा नेता के न पहुंचने को लेकर यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि "सहयोगियों के बीच न कोई मतभेद है और न ही कोई मनभेद। राष्ट्रीय नेतृत्व उपराष्ट्रपति चुनाव के कारण उपस्थित नहीं हो सका, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इसे भाजपा प्रायोजित बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा अखिलेश यादव के पीडीए नैरेटिव से डरती है और अपने सहयोगियों के माध्यम से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है"

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