पूजा ने ब्लिस्टर पैक की केमिकल और मैकेनिकल स्ट्रक्चर का गहन विश्लेषण कर इसे रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त बनाया। थर्मल प्रोसेसिंग और नैनो-कम्पोजिटिंग तकनीकों के जरिए इस कचरे को उच्च शक्ति और लचीलापन प्रदान किया गया। प्रवाहकीय गुणों के लिए ग्रेफीन और कार्बन नैनोट्यूब्स जैसे नैनोमटेरियल्स को वस्त्रों में समाहित किया गया। इसके अलावा, केव्लर और फोमयुक्त लेयरिंग के उपयोग से यह सामग्री झटका-प्रतिरोधी बनाई गई, जो सैन्य मानकों (MIL-STD) के अनुरूप टेंसाइल स्ट्रेंथ, अब्रेशन रेज़िस्टेंस और थर्मल स्थिरता प्रदान करती है।
पूजा ने इन वस्त्रों में बायो-सेंसर्स और लो-पावर कम्युनिकेशन मॉड्यूल्स को एकीकृत कर सैनिकों की हृदयगति, तापमान और तनाव स्तर की रीयल-टाइम निगरानी को संभव बनाया है। यह तकनीक सैनिकों की स्थिति और लोकेशन को ट्रैक करने में भी सहायक है। इस नवाचार के अनुप्रयोग सैन्य क्षेत्र में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। पूजा के स्मार्ट टेक्सटाइल्स से बने कॉम्बैट यूनिफॉर्म सैनिकों के स्वास्थ्य और लोकेशन की निगरानी के साथ-साथ रणनीतिक संवाद को आसान बनाएंगे। इसके अलावा, यह सामग्री बुलेटप्रूफ जैकेट्स में अतिरिक्त सुरक्षा परत, डिफेन्स ड्रोन कवर्स और आपदा राहत गियर के रूप में भी उपयोगी है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह प्रोजेक्ट ब्लिस्टर पैक जैसे कठिन रीसायक्लिंग कचरे को ‘वेस्ट टू वैल्यू’ मॉडल के तहत उपयोगी संसाधन में बदलकर सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देता है। यह हरित रक्षा तकनीक का एक अनुकरणीय उदाहरण है, जो पर्यावरणीय बोझ को कम करते हुए रणनीतिक लाभ प्रदान करता है।
गाजीपुर जैसे छोटे शहर से निकलकर पूजा ने न केवल स्थानीय समुदाय को गौरवान्वित किया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के नवाचार को मजबूती दी है। उनकी यह उपलब्धि भारत की “आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली” और “स्वच्छ भारत” के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पूजा का यह शोध अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसके प्रोटोटाइप ने रक्षा विशेषज्ञों और पर्यावरण वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है। वह इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करने और अन्य औद्योगिक अपशिष्टों के लिए समान मॉडल विकसित करने की योजना बना रही हैं। गाजीपुर की इस बेटी ने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और वैज्ञानिक सोच के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। पूजा का यह नवाचार न केवल भारत की रक्षा शक्ति को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक मिसाल कायम करेगा। मीडिया से बातचीत में अपराजित ने बताया कि उन्हें अपने इस इनोवेशन के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से प्रशस्ति पत्र भी मिला है।
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