हाल-ए-जननी सुरक्षा योजना: तीन वर्ष में 3 महिलाओं की 52 डिलीवरी और नौ बार नसबंदी !


लखनऊ।
आगरा जिले के फतेहाबाद में जननी सुरक्षा योजना और नसबंदी में एक और चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। दो गांवों की तीन और महिलाओं के 52 बार प्रसव और 9 बार नसबंदी दर्शाते हुए सरकारी रकम हड़प ली। इसमें 55 वर्षीय एक महिला की तो 22 साल पहले ही नसबंदी हो चुकी है। इसका भी 3 साल में 18 बार प्रसव और 3 बार नसबंदी दिखा दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच में 2021-22 और 2022-23 सत्र में फतेहाबाद के नगला कदम निवासी सुनीता और मछला देवी के नाम से 18 प्रसव, 3 नसबंदी और रसूलपुर की राजकुमारी के नाम से 17 बार प्रसव और 3 बार नसंबदी दिखाते हुए 31,000-31,000 रुपये और 29,800 रुपये खाते में आए। इनकी जांच करने के लिए टीम गांव पहुंची, जिसमें पता चला कि सुनीता (55) पत्नी दीपचंद की 36 साल पहले शादी हुई थी। दो बेटे एक बेटी हैं और तीनों की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा बेटा 22 साल है। इसी गांव की मछला देवी पत्नी रतन सिंह की शादी 22 वर्ष पहले हुई थी। तीन पुत्र एक पुत्री है। 15 साल पहले ही नसबंदी हो चुकी है। रसूलपुर निवासी राजकुमारी के नाम पर पर 17 बार प्रसव और तीन बार नसबंदी दर्शाया है। पूछताछ में इन्होंने इससे अनभिज्ञता जताते हुए मुख्य आरोपी नगला कदम निवासी अशोक की ओर से खाता खुलवाने की जानकारी दी। इनको कोई धनराशि नहीं मिली है।
फतेहाबाद सीएचसी अधीक्षक डॉ. प्रमोद कुशवाहा का कहना है कि संदिग्ध खातों की जांच की जा रही है। नगला कदम में तीन और संदिग्ध खातेदारों की जांच कराई है। इसमें तीनों ने स्वयं सहायता समूह चलाने वाले अशोक के जरिए खाते खुलवाने की जानकारी दी। दरअसल, जननी सुरक्षा योजना तथा नसबंदी का सारा रिकॉर्ड ब्लॉक कार्यक्रम मैनेजर पर रहता है। पोर्टल पर एंट्री का काम डाटा एंट्री ऑपरेटर का होता है और रुपये डालने का काम ब्लॉक लेखा मैनेजर के जरिए होता है। अधीक्षक स्तर से इस पर मॉनिटरिंग करना संभव नहीं होता है।
आगरा में जननी सुरक्षा योजना और नसबंदी में घोटाले के लिए मुख्य आरोपी अशोक कुमार ने पूरी प्लानिंग कर रखी थी। स्वयं सहायता समूह के जरिये महिलाओं और परिचित-रिश्तेदार महिलाओं को सरकारी अनुदान का लाभ दिलाने के नाम पर खाता खुलवाता था। कभी-कभार चीनी, रिफाइंड और 300-400 रुपये भी दे देता था। स्वास्थ्य विभाग की जांच में ये जानकारी सामने आई है। नगला कदम निवासी सुनीता का कहना है कि गांव के अशोक स्वयं सहायता समूह चलाते हैं। सरकारी मदद दिलाने के नाम पर कई बार रोहता, नगला पदमा, फतेहाबाद बैंकों में लेकर गए और खाते खुलवाए। पासबुक समेत अन्य कागज उसने ही रख लिए। कभी-कभार 300-400 रुपये, चीनी, रिफाइंड जरूर दे देता था। हमने तो कोई लेनदेन भी नहीं किया है।
नगला कदम निवासी मछला देवी ने बताया कि गांव का अशोक हमारे ससुर लगते हैं। ये स्वयं सहायता महिला समूह के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर खाता खुलवाया। इसके लिए फतेहाबाद और कभी रोहता बैंक लेकर गया। हमें कोई पासबुक भी नहीं दी। खाते में हमें कभी कोई लेनदेन भी नहीं किया। यही रसूलपुर निवासी राजकुमारी का कहना है। इन्होंने बताया कि अशोक से दूर की रिश्तेदारी है। इसी के जरिये योजना और सरकारी मदद दिलाने के नाम पर खाता खुलवाया। बैंक के कागज भी हमें नहीं दिए।

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