13 साल पहले गंवाया था पैर... अब महाराष्ट्र से अयोध्या तक 1000 किमी की साइकल यात्रा पर निकले गोपाल !


लखनऊ।
‘दिव्यांग कमजोर नहीं होते’। यह संदेश महाराष्ट्र के रहने वाले गोपाल पवार ने दिया है। वे दिव्यांग तो हैं, लेकिन किसी के मोहताज नहीं हैं। तकरीबन 600 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करने के बाद शुक्रवार को वे रीवा पहुंचे, जहां से वे प्रयागराज स्थित महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के बाद रामलला के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे। गोपाल पवार महाराष्ट्र के वर्धा जिले में रहते हैं. गोपाल पवार एक दिव्यांग व्यक्ति हैं, जिनका दाहिना पैर एक सड़क दुर्घटना में कट गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने साइकल से 1000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करने का संकल्प लिया। उनका लक्ष्य सिर्फ यात्रा करना नहीं, बल्कि दिव्यांगों को यह संदेश देना है कि वे भी किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह कुछ भी कर सकते हैं, अगर उनका इरादा मजबूत हो। गोपाल पवार का भगवान राम के प्रति गहरा विश्वास है। महाकुंभ के पर्व के दौरान उन्होंने गंगा स्नान करने का निर्णय लिया और इसके बाद अयोध्या नगरी जाने का विचार किया। उनके अनुसार, दिव्यांगों को अपने इरादों को मजबूत करके कोई भी मुश्किल आसानी से पार की जा सकती है। गोपाल पवार ने बताया कि 13 साल पहले, 2012 में एक सड़क हादसे में उनका दाहिना पैर कट गया था। लेकिन उन्होंने अपनी मानसिक ताकत को बढ़ाते हुए इस हादसे को अपनी यात्रा का हिस्सा बना लिया। गोपाल का मानना है कि दिव्यांग व्यक्ति को कभी हार नहीं माननी चाहिए और उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। गोपाल पवार का अगला बड़ा लक्ष्य है कश्मीर से कन्याकुमारी तक सायकल यात्रा करना, ताकि वह अपने संदेश को और अधिक लोगों तक पहुंचा सकें। उनका कहना है कि दिव्यांग व्यक्ति को किसी भी कठिनाई से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें हमेशा जोश और उमंग के साथ आगे बढ़ना चाहिए। गोपाल पवार की यात्रा यह साबित करती है कि अगर किसी के मन में आत्मविश्वास हो, तो वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह अपनी ताकत और इरादों को साबित करने का एक अवसर है।

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