आजमगढ़ का रहने वाला है आरोपी
डॉक्टर ने यह पेसमेकर मरीजों को लगा भी दिए. इसके बाद 17 मरीजों की मौत हो गई थी। इससे हड़कंप मचा तो बाद में डॉक्टर को अरेस्ट करने के बाद बाकी मरीजों को बचाने का प्रयास किया गया था। आरोपी इंद्रजीत ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि वह कानपुर की कृष्णा हेल्थ केयर कंपनी के लिए काम करता है। यह कंपनी बायोटॉनिक कंपनी के पेसमेकर सप्लाई करती है। उसने बताया कि साल 2018 में उसने पीजीआई सैफई के डॉ. समीर सर्राफ के साथ टाइअप किया था और नॉन एमआरआई पेसमेकर पर एमआरआई पेसमेकर का लेबल लगाकर मरीजों को उपलब्ध कराने की साजिश रची। दरअसल उस समय बायोट्रॉनिक कंपनी के एमआरआई पेसमेकर का की कीमत 2 लाख रुपये थी, जबकि नॉन एमआरआई पेसमेकर 80 हजार रुपये में आता था। ऐसे में मरीजों को वह नॉन एमआरआई पेसमेकर लगाकर एमआरआई पेसमेकर का दाम वसूलने लगे थे। आरोपी के मुताबिक वसूली गई राशि में से 10 प्रतिशत उसे मिलता था और बाकी रकम डॉक्टर समीर लेता था। आरोपी ने बताया कि उसने कुल 80 पेसमेकर डॉ. समीर को उपलब्ध कराए थे।
मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने 7 नवम्बर 2023 को वारदात के मुख्य आरोपी डॉ. समीर को अरेस्ट कर लिया था। इस संबंध में सीएमएस डॉ. आदेश कुमार ने डॉ. समीर सर्राफ के खिलाफ अनावश्यक आर्बिट्रेरी परचेज, पेसमेकर धोखाधड़ी, अनावश्यक विदेश यात्राएं एवं गबन आदि के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। इसी क्रम में रविवार को मूल रूप से आजमगढ़ में टंडवा के रहने वाले सप्लायर इंद्रजीत पुत्र बाढूराम को अरेस्ट किया है। यह जालसाज इन दिनों कानपुर के मसवानपुर में रह रहा था। इटावा के एसएसपी संजय कुमार वर्मा के मुताबिक पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने कई बड़े खुलासे किए हैं। आरोपी ने बताया कि वह अपनी कंपनी की ओर से दोनों प्रकार के पेसमेकर सप्लाई करता है। एक बार वह डॉक्टर समीर से बात कर रहा था तो उन्होंने इस तरह की गड़बड़ी करने की योजना बनाई। इसके बाद उन दोनों ने मिलकर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया। इस मामले की जांच सैफई के तत्कालीन सीओ नागेंद्र चौबे ने की थी। उन्होंने बताया कि यह काफी बड़ा रैकेट है और इसमें अभी कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी बाकी है।
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