जन्माष्टमी के मौके पर भदरस गांव के भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के साथ मंदिर में विराजित अष्टधातु की राधारानी की मूर्ति की याद सताती है। हालांकि भक्तों ने बाद में इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी की दूसरी मूर्ति स्थापित की है, लेकिन अष्टधातु की प्राचीन मूर्ति अभी भी पुलिस के पास है। इससे भक्तों का हृदय दुखी रहता है। भक्तों का यह दुख जन्माष्टमी और राधाष्टमी जैसे मौकों पर और भी बढ़ जाता है। भद्ररस गांव में राधाकृष्ण का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में 16 साल पहले चोरी हुई थी। चोरों ने मंदिर में विराजित राधारानी की अष्टधातु की मूर्ति और अन्य भगवानों की मूर्तियां चुरा ली थीं।
जन्माष्टमी के मौके पर यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि 16 साल पहले हुई चोरी की घटना को वह भुला नहीं पा रहे हैं। जिसके चलते राधा रानी भगवान कृष्ण से 16 साल से दूर हैं। वही मंदिर के पुजारी राजेश का कहना है कि भगवान श्रीराम का वनवास 14 साल में खत्म हो गया था लेकिन राधा रानी 16 साल से वनवास काट रही हैं। उनका कहना है कि भगवान कृष्ण के साथ मंदिर में विराजित राधा रानी की मूर्ति ना होने पर उनका जन्माष्टमी उत्सव फीका रहता है।
घाटमपुर थाना प्रभारी प्रदीप कुमार का कहना है कि मंदिर के पुजारी सर्वांकर को कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर मूर्ति रिलीज करवा लेनी चाहिए थी। मंदिर में 16 साल पहले हुई चोरी की घटना की जानकारी देते हुए बताया कि चोरों ने तो मंदिर की सभी मूर्तियां चुरा ली थीं। भगवान कृष्ण की मूर्ति चोरों से मंदिर पास कुछ दूरी पर गिर गई थी। जिसे चोर दोबारा नहीं उठा पाए थे। मंदिर में उन्हें दोबारा स्थापित कराया गया। बगल में पत्थर से बनी राधा रानी की मूर्ति लगाई गई। कुछ भक्तों ने राधा रानी की मूर्ति को मंदिर में वापस स्थापित कराए जाने की मांग विधायक सरोज कुरील से की थी। जिस पर उन्होंने उनकी ओर से जल्द से जल्द प्रयास किए जाने की बात कहकर पुलिस अधिकारियों से बात की है।
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