यूपी विधानसभा के दस सीटों के चुनाव में कांग्रेस को चाहिये बराबरी...अखिलेश के सलाहकार मानने को तैयार नहीं!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के दस विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में कांग्रेस रणनीतिकार अपनी धमाकेदार उपस्थित दर्ज कराना चाहते हैं। जिसके लिये वह समाजवादी पार्टी को यह बताना चाहते हैं कि बीते लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जो सफलता मिली है, उसमें दलित और मुस्लिम वोट कांग्रेस के कारण सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिले हैं। समाजवादी पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की मंशा है कि लोकसभा चुनाव में हम आपको न सिर्फ पूरा सहयोग किये बल्कि आपकी सीटों को एक से छः तक पहुंचा दिये। यदि समाजवादी पार्टी अलग लगती तो कांग्रेस को 2019 के चुनाव में मिली एक मात्र सीट रायबरेली से भी हाथ धो देना पड़ता। राज्य कांग्रेस के नेता इस हकीकत को समझें। बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में लड़े गये 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 के सदन में कांग्रेस के मात्र दो विधायक जीते थे। कांग्रेस में प्रियंका गांधी वाड्रा से बड़ा प्रभारी नहीं बनाया जा सकता था। इस बात की चर्चा तो प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर भी होती है कि प्रियंका गांधी से सफल राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय हैं। धुर कांग्रेसी रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार "लल्लू" की अपेक्षा भाजपा में रह कर आये अजय राय ज्यादा सफल सिद्ध हुये।मर चुके माफिया डॉन मुख्तार अंसारी से सीधा पंगा लेकर अजय राय वाराणसी क्षेत्र में एक तरह से भाजपा के वोट बैंक में अपनी मजबूत पैठ बना चुके हैं। इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के मतगणना में कई राउंड पीछे रहे। जिसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ा। शेयर बाजार बुरी तरह से धड़ाम हो गया था।यदि कांग्रेस नेतृत्व अजय राय को यूपी में काम करने की छूट देगा तो वह कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।बहुत बार राय की दबंग छवि समाजवादी पार्टी पर भारी पड़ चुका है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से चिढ़ कर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनके लिये "चिकुट" जैसे असंसदीय शब्द का प्रयोग किया था। उसके बाद भी अजय राय सपा अध्यक्ष के सामने न झुके और न दबे। भाजपा में रह कर पार्टी के वरिष्ठम नेता व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी से भिड़ने की साहस रखने वाले राय अपने कठिन परिश्रम के बल पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का इतना विस्वास प्राप्त कर चुके हैं कि एक बार वह किसी से भी उलझ सकते हैं, फिर अखिलेश यादव किस खेत की मूली हैं। अपनी मेहनत और वफादारी के बल पर वह राज्य में कांग्रेस को लगातार उबार रहे हैं। कांग्रेस के वह जमें-जमाये नेता जिनके कागजी कांग्रेसी होकर रह जाने के कारण यूपी से ध्वस्त हो चुकी कांग्रेस को अजय राय फूटी आंख नहीं सुहाते। जो लोग कांग्रेस से ज्यादा राज्य की तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी में पैठ बनाने में कांग्रेस को बर्बाद किये वही लोग आज फिर से अजय राय के राह में बारूद बिछाने में लगे हैं। कांग्रेस के ऐसे नेता जो कांग्रेस आला कमान को अंधेरे में रख कर समाजवादी पार्टी से अपनी सीटों तक गठबंधन का माहौल रखते थे उन्हें अजय राय का उदय रास नहीं आ रहा है। बीते लोकसभा चुनाव में यदि ऐसे लोग यूपी के मामले में अजय राय को छूट देने दिये होते तो आज कांग्रेस के सफलता की कहानी कुछ और होती। ऐसे में 1989 के बाद राज्य में जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हौशले फिर से बढ़ रहे हैं तो वह किसी के दबाव में रहने वाली छवि से उबरने को तड़पने लगा है।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी इस नशे से बाहर आने को तैयार नहीं है कि यदि वह न होती तो कांग्रेस यूपी से साफ हो चुकी होती। यूपी के प्रदर्शन के बल पर सपा कांग्रेस के दबदबे वाले प्रदेशों में अपना दावा और दबाव बढ़ाना आरंभ कर दिया। पिछले दिनों अंबानी के पारिवारिक कार्यक्रम में गये पार्टी अध्यक्ष का महाराष्ट्र के सपाइयों ने इतना जबरदस्त स्वागत कर दिया कि एक ही महीने में अखिलेश यादव दोबारा मुंबई प्रवास पर पहुंच गये। इस बार उनके सभी सांसद भी उनके साथ गये थे। इस दौरान महाराष्ट्र प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आशिम आजमी ने कहा कि हम यूपी में कांग्रेस को देने वाली पार्टी हैं और महाराष्ट्र में कांग्रेस से लेने वाली पार्टी हैं। संकेत साफ था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को इस बार गठबंधन में पिछली बार से ज्यादा टिकट चाहिये। खास कर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सपा अपना पूर्ण दबदबा रखना चाहती है। महाराष्ट्र इकाई के इस फैसले से अखिलेश को दोहरा लाभ है। वह चाहते हैं कि यूपी की बहुत बड़ी संख्या जो महाराष्ट्र में है वह भी सध जाये और यूपी तो है ही अपने बाप की। वरना अबू आजमी इतना ठोंक कर दावा नहीं कर पाते। यदि सपा आजमी की रणनीति को महत्व देगी तो वह यूपी में भी अपनी धाक बचाने में कामयाब होगी। नहीं तो जिस तरह से अजय राय सपा-बसपा-भाजपा सबके वोट बैंक को तोड़ कर कांग्रेस से जोड़ते देखे जा रहे हैं यह यूपी के सभी राजनैतिक दलों के लिये खतरे की घण्टी होगी। कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की समझदारी की दाद सबको देनी पड़ेगी। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता कमलनाथ द्वारा अखिलेश-फखिलेश कहने और अखिलेश यादव द्वारा यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष को चिरकुट तक पहुंचने के बाद भी गांधी भाई-बहनचुप्पी साधे रहे वह उनके भविष्य की राजनीति के लिये बहुत कारगर साबित हुआ। विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर अखिलेश यादव लगातार कपटपूर्ण वक्तव्य देते थे। उन्होंने कभी भी स्पष्ट जंग नहीं छेड़ा कि राहुल गांधी हमारे प्रधानमंत्री के प्रत्याशी हैं, नहीं तो कहानी में कुछ और मोड़ आता। राहुल को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बना कर चुनाव न लड़ने से भाजपा को लाभ हुआ। प्रदेश की दस विधानसभा सीटों में यदि कांग्रेस को तीन से चार सीट मिल जाती है और भाजपा के विरुद्ध चल रही आंधी में वह जीत जाती है तो कांग्रेस फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखेगी। इसी लिये अखिलेश यादव आक्रामक अजय राय को मजबूत देखने से डरते हैं। इस लिये वह चाहते हैं कि कांग्रेस सपा के बराबर सीटों पर न लड़े। कांग्रेस का कहना है कि हम उन सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं जहां बीजेपी की सहयोगी पार्टियां लड़ने की तैयारी कर रही हैं। यदि वहां की सीटें कांग्रेस को दी गयीं तो परिणाम कुछ और होगा। जिसका वर्तमान से ज्यादा भविष्य में लाभ मिलेगा।

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