लखनऊ। 18वीं लोकसभा में साक्षी महाराज अकेले ऐसे संत होंगे जो संसद में नजर आएंगे। भाजपा ने इस बार तीन भगवाधारियों को टिकट दिया था, उनमें से उन्नाव से सिर्फ साक्षी महाराज ही चुनाव जीते हैं। पिछले चुनाव में छह संत संसद पहुंचे थे। विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले स्वामी सच्चिदानन्द हरि साक्षी यानी साक्षी महाराज ने उन्नाव लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाई है। 1991 में मथुरा, 1996 और 1998 में फर्रुखाबाद से सांसद रह चुके साक्षी महाराज 2014 व 2019 के चुनाव में बड़े अंतर से जीतकर संसद पहुंचे थे। इस बार उनका मुकाबला पूर्व कांग्रेस सांसद व सपा प्रत्याशी अन्नू टंडन से था। एंटी इनकम्बेंसी, पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समेत कई मुद्दों की वजह से चुनाव कांटे का जरूर रहा लेकिन अंत में साक्षी महाराज 35,818 वोट से जीत गए।
2014 व 2019 में फतेहपुर सीट पर कमल खिलाने वाली केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति 2024 के चुनाव में जीत की हैट्रिक नहीं लगा सकी। चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से 33,199 वोटों से हार गईं। वहीं, राजस्थान की सीकर सीट से दो बार के सांसद रहे आर्य समाज के सदस्य स्वामी सुमेधानंद सरस्वती का बनाया भगवा किला इस बार लाल झंडाधारी सीपीआई (एम) के अमराराम ने गिरा दिया। अमराराम ने उन्हें 72,896 वोटों से हराकर संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
2019 के चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हरा सांसद बनी साध्वी प्रज्ञा को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। महाराष्ट्र के सोलापुर में कांग्रेस के क़द्दावर नेता सुशील कुमार शिंदे को हराकर सांसद बने जयसिद्धेश्वर स्वामी और अलवर के पूर्व सांसद नाथ संप्रदाय के आठवें मुख्य महंत बाबा बालकनाथ भी सियासी समर से बाहर हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ के अलावा उत्तराखंड के हरिद्वार से स्वामी यतींद्रानंद गिरी संसद की संसद में धमक रहती थी। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी भाजपा के टिकट पर सांसद बनीं। उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के पूर्व सांसद सतपाल महाराज और बीजद के संस्थापक सदस्य प्रसन्ना आचार्य संबलपुर ओडिशा से तीन बार सांसद रहे। हालांकि वह अभी राज्यसभा सांसद हैं।
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