पुरानी रणनीति को आगे बढ़ाने का फैसला...इन्हें दी जाएगी अहम जिम्मेदारी!


लखनऊ। प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे का जादू ऐसा चला कि सपा ने 37 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। सपा न सिर्फ यूपी की सबसे बड़ी पार्टी बन गई बल्कि बीजेपी-कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। सपा अब पीडीए के इस जोश को आगामी विधानसभा चुनाव में भी धार देने की तैयारी में जुट गई है।

समाजवादी पार्टी की नजर आगामी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर लगी हुई है। लोकसभा में पीडीए की सफलता के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस प्रयोग को अब अगले चुनाव में आजमाने की तैयारी कर रही है, खबरों के मुताबिक अखिलेश यादव ने संविधान, लोकतंत्र और समानता जैसे मुद्दों पर लगातार भारतीय जनता पार्टी को घेरे की रणनीति तैयार की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को पीडीए को और मज़बूत करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से सभी वर्गों के लोगों के पार्टी के साथ जोड़ने और पूरी ताकत के साथ उनके मुद्दे उठाने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रदेश में सामाजिक समरसता के न्यू इंडिया का संदेश जाए। सपा की नजर अति पिछड़ी जातियों के साथ बसपा को वोट बैंक पर भी हैं जो बसपा के कमजोर होने के बाद नए नेतृत्व की तलाश में हैं।

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी दलित और अति पिछड़े नेताओं को पार्टी में अहम पद और जिम्मेदारियां दे सकते हैं। आने वाले दिनों में पार्टी अग्निवीर जैसी योजना को खत्म करने और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर भी सरकार को चौतरफा घेरने की तैयारी कर रही है। अखिलेश यादव ने इस बार पीडीए की जो रणनीति बनाई, उसका असर ये हुआ कि सपा सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही। सपा ने 37 सीटें जीतीं और 33.59 फीसद वोट हासिल किया। इससे पहले सपा ने साल 2004 में सबसे ज्यादा 35 सीटें जीती थीं। उस समय सपा को 26.74 फीसद वोट मिले थे।

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