तीन दशकों तक रामधन के इर्द-गिर्द घूमती रही लालगंज लोकसभा की राजनीति... पांच बार चुने गए सांसद!


MJ Vivek/ आजमगढ़। 18वीं लोकसभा की शंखनाद कुछ ही घंटों में होने वाला है। प्रदेश की मुख्य सत्ताधारी दल ने यहां से पूर्व सांसद नीलम सोनकर को चौथी बार प्रत्याशी बनाया है। मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी यहां से दो बार के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज पर फिर भरोसा जताया। हालांकि बसपा ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन यदि इस सीट के ऐतिहासिक आंकड़ों पर नजर डालें तो शुरुआत के 3 दशकों तक रामधन के इर्द-गिर्द ही लालगंज की राजनीति घूमती रही है। इन्होंने अपने राजनैतिक कौशल के बल पर पांच बार सांसद का चुनाव जीत लिया था।

रामधन ने पहली बार 1962 में निर्दलीय के रूप में राजनीति की शुरुआत की। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1967 में कांग्रेस की टिकट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे। 1971 में कांग्रेस की टिकट पर लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। इमरजेंसी के दौरान संसद में इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने के लिए ललकारा था। इसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी छोड़कर 1977 में भारतीय लोकदल से तीसरी बार संसद का चुनाव जीता। वर्ष 1980 में पुन: कांग्रेस पार्टी में चले गए और फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें जनता पार्टी के छंगुरराम ने उन्हें 9 हजार के मामूली मतों से हरा दिया। फिर 1984 में कांग्रेस के टिकट जीत दर्ज की। 1989 में फिर वह जनता दल में चले गए और पांचवीं बार सांसद चुने गए।

लालगंज लोकसभा सीट पहली बार 1962 में अस्तित्व में आई थी। वर्तमान में इस लोकसभा क्षेत्र में अतरौलिया, फूलपुर, निजामाबाद, मेंहनगर व लालगंज विधानसभा क्षेत्र शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिम, दलित व यादव बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है यह सीट शुरू से ही सुरक्षित रही है। इस सीट पर पहली बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार विश्राम प्रसाद ने कांग्रेस के उम्मीदवार नाथ जी को लगभग 20 हज़ार मतों से पराजित किया था।

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