सपा के दो विधायक जेल में बंद होने और एक विधायक पल्लवी पटेल के बगावती सुर से उसे अपने तीसरे राज्यसभा प्रत्याशी को जिताने में मुश्किल आ सकती है। सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी को सपा के कोटे से ही वर्ष 2022 में टिकट दिया गया था। यह चुनाव सपा और सुभासपा ने मिलकर लड़ा था। हालांकि, बाद में पलटी मारते हुए सुभासपा एनडीए का हिस्सा हो गई। इसलिए सपा अब्बास अंसारी को अपना ही वोट मानकर चल रही है। इन परिस्थितियों में इस चुनाव में सपा के लिए भी हर वोट का बड़ा महत्व है। बताते हैं कि सपा के रणनीतिकार वोटिंग से तीन से चार दिन पहले इन विधायकों को मतदान की अनुमति के लिए संबंधित कोर्ट में आवेदन करेंगे।
वर्ष 2008 में तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद को भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए केंद्र सरकार ने फर्लो (थोड़े दिन के लिए जेल से छुट्टी) दिलाई थी। यह अविश्वास प्रस्ताव तत्कालीन मनमोहन सरकार के खिलाफ लाया गया था। लेकिन, इसमें दिलचस्प बात यह रही कि अतीक ने अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ जाकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान दिया। जबकि, उस समय सपा यूपीए सरकार के पक्ष में खड़ी थी। गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी कहते हैं कि जेल में बंद जनप्रतिनिधि को कोर्ट की अनुमति से मतदान के लिए लाया जा सकता है। बंदी जनप्रतिनिधि जेल अधीक्षक को इस संबंध में अपनी अर्जी दे सकता है या फिर अपने अधिवक्ता के माध्यम से संबंधित कोर्ट में भी अर्जी लगा सकता है। अफजाल अंसारी कहते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष को भी यह अधिकार है कि वह सीधे जेल अधीक्षक को पत्र भेजकर विधायक को मतदान के दिन उपस्थित रहने के निर्देश दे सकें। लेकिन, वर्तमान व्यवस्था में यह मुमकिन नहीं हैं। इसलिए कोर्ट का ही सहारा लेना पड़ेगा।
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