लखनऊ। बीते विधानसभा चुनाव में 80 और 20 की चर्चा काफी हुई थी। तब चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों ओर से इसपर जमकर बयानबाजी भी हुई। लेकिन चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने रणनीति बदली और पीडीए के फॉर्मूले के साथ चलने का एलान कर दिया। अब उन्होंने इसी फॉर्मूले के तहत आंकड़े भी पेश किए हैं।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए पोस्ट कर लिखा, 'PDA में विश्वास करनेवालों का सर्वे : कुल मिलाकर 90% की बात। 49% पिछड़ों का विश्वास PDA में, 16% दलितों का विश्वास PDA में, 21% अल्पसंख्यकों का विश्वास PDA में (मुस्लिम+सिख+बौद्ध+ईसाई+जैन व अन्य+आदिवासी) और 4% अगड़ों में पिछड़ों का विश्वास PDA में है।' इस आंकड़े को पेश करते हुए उन्होंने आगे लिखा, 'उपरोक्त सभी में आधी-आबादी मतलब महिलाएं सम्मिलित हैं।
सपा प्रमुख ने लिखा, 'इन 90% में से अधिकांश इस बार PDA के लिए एकजुट होकर वोट करेंगे। भाजपा इसी कारण न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण, इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फ़ार्मूले, इस बार फ़ेल हो गये हैं। इसीलिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गयी है। भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। भाजपा का टिकट लेकर हारने के लिए कोई लड़ना नहीं चाहता है।'
उन्होंने लिखा, 'यहाँ तक कि भाजपा के मुख्य समर्थकों में भी जो महिलाएँ महिला पहलवानों की दुर्दशा, मणिपुर की वीभत्स घटना, माँ-बेटी को जलाने के कांड जैसी अन्य अनगिनत नारी अपमान की घटनाओं को लेकर भाजपा समर्थक होने के नाते शर्मिंदा हैं वो अबकी भाजपा का साथ नहीं देंगी। साथ ही नौकरी या भर्ती की उम्मीद लगाये बैठे, जो युवा भाजपा राज में हताश हुए हैं, वो सब भी इस बार भाजपा को हराने-हटाने के लिए ही वोट देंगे।'
सपा मुखिया ने आगे लिखा, 'अपने को बुद्धिजीवी समझने वाले समाज में जो लोग तथाकथित नैतिकता व राजनीतिक ईमानदारी के नाम पर भाजपा की ओर देखते थे, वो महाराष्ट्र, बिहार, चंडीगढ़ मेयर चुनाव और झारखंड की सत्ता के लालच से भरी अनैतिक व भ्रष्ट व्यवहार की घटनाओं से न केवल क्षुब्ध हैं बल्कि व्यथित भी हैं। ऐसे लोग बहुत ज़्यादा हैं, इनकी निष्क्रियता भी भाजपा के वोटों में भारी कमी करेगी। भाजपा अपनों से ही हारेगी।'
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